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________________ भट्टारक पद्मनन्दि संस्कृतभाषा के उन्नायकों में भट्टारक आचार्य पद्मनन्दिकी गणना की जाती है । ये प्रभाचन्द्र के शिष्य थे। कहा जाता है कि दिल्ली में रत्नकीदिके पट्टपर वि० सं० १३१० की पौष शुक्ल पूर्णिमाको भट्टारक प्रभाचन्द्रा अभिषेक हुआ था। इनका जन्म ब्राह्मण जातिमें हुआ था । स्वम्भात वाग. देवगिरि आदि स्थानों में बिहार कर धर्म और संस्कृतिक प्रचार-प्रसार किया था | इन्होंने दिल्ली में नासिरुद्दीन मुहम्मदशाह को भी प्रसन्न किया था। प्रभाचन्द्र ७४ वर्ष तक पट्टाधोश रहे | एक बार प्रतिष्ठा महोत्सवके समय व्यवस्थापक गृहस्थ उपस्थित नहीं रहे, तो प्रभाचन्द्रने उसी उत्सवको पट्टाभिषेकका रूप देकर पद्मनन्दको अपने पट्ट पर अभिषिक्त कर दिया था। इन्होंने वि० सं० १४५० की वैशाख शुक्ला द्वादशी को एक आदिनाथस्वामीकी मूर्ति प्रतिष्ठित करायी थी। ये मूलसंघ स्थित नन्दिसंघ बलात्कारगण और सरस्वतीगच्छके आचार्य थे ! भट्टारक पद्मनन्दिके तीन प्रमुख शिष्य थे, जिन्होंने भट्टारकपरम्पराएँ स्थापित अन्य शिष्यों के साथ मदनदेव, नयनन्दि और मदनकीति इन प्रमुख शिष्योंके भी नामोल्लेख पाये जाते हैं । स्थितिकाल आचार्य पद्मनन्द भट्टारक और मुनि दोनों विशेषणों द्वारा अभिहित हैं । इनका पट्टाभिषेक वि० सं० १३८५ ( ई० सन् १३२८) में हुआ था । ये पन्द्रह् वर्ष, सात माह और १३ दिन गृहस्थी में रहे । पश्चात् १३ वर्ष तक दीक्षित हो ज्ञान और चारित्रकी साधना करते रहे । २९ वर्षकी अवस्थाके अनन्तर ये पट्टपर अधिष्ठित हुए और ६५ वर्षों तक पट्टाधीश बने रहे। इस प्रकार इनका जन्म समय ई० सन् १३०० के लगभग आता है | आदिनाथस्वामीकी मूर्तिकी प्रतिष्ठा वि० सं० १४५० ( ई० सन् १३९३ ) में इनके द्वारा सम्पन्न हुई है । वि० १. श्रीमत्प्रभाचन्द्रमुनीन्द्र पट्टे शश्वत्प्रतिष्ठः प्रतिभाग रिष्ठ | विशुद्धसिद्धान्त रहस्यरत्न - रत्नाकरो नन्दतु पद्मनन्दी || २८ ॥ गुर्वावली, जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग १, किरण ४, पृ० ५३ । २. वि० सं० १३८५ पोस सुदि ७ पद्मनन्दिजी गृहस्थ वर्ष १५ मास ७ दीक्षा वर्ष १३, मास ५ पट्टवर्ष ६५ दिवस १८ अन्तर दिवस १० सर्व वर्ष ९९ दिवस २८ जाति ब्राह्मण पट्ट दिल्ली । -भट्टारकसम्प्रदाय, लेखांक २३७ ॥ ३. भट्टारक सम्प्रदाय, सोलापुर, लेखांक २३९ । ३२२ : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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