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________________ केवलियों या एकदेशश्रुतकेवलियोंका विच्छेद हो गया है। अतएव उनका श्रुतकेबलिदेशीयरूपसे उल्लेख यापनीयसंघका द्योतक है। शाकटायनने अपनी गुरुपरम्पराका उल्लेख नहीं किया है और न अपने गुरुका नाम ही दिया है । अमोघवर्षके पिता प्रभूतवर्ष या गोविन्दराज तृतीयका जो दानपत्र कदम्ब ( मैसूर ) में मिला है वह शक संवत् ७३५ का अर्थात् अमोघवर्षके राजा होनेसे एक वर्ष पहले का है। उसमें अर्ककीर्ति मुनिको मान्यपूर ग्रामके शिलाग्रामजिनेन्द्रभवनके लिए एक गांव दान करनेका उल्लेख है । अर्ककोति यापनीयनन्दिसंघ पुन्नागवृक्ष मुलगणके थे । अर्ककीतिके गुरुका नाम विजयकीर्ति और प्रगुरुका नाम श्रीकोति था। बहुत सम्भव है कि पाल्यकीर्ति अर्ककीतिके शिष्य रहे हों। शाकटायनसूत्रपाठमें इन्द्र, सिद्धनन्दि और आर्यवज्र इन तीन पूर्वाचार्योके मसीका निर्देश पाया जाता है। इन तीनों आचार्योंमें इन्द्रका उल्लेख गोम्मटसार जीवकाण्ड संशयी मिथ्याष्टिके रूपमें आया है। सिद्धनन्दि भी यापनीयसंघके आचार्य प्रतीत होते हैं। तिलोयपण्णत्तिमें वजयशका नाम आता है । अतः सम्भय है कि आर्यबळ दिगम्बराचार्य हों अथवा श्वेताम्बर कल्पसूत्रस्थविरावलीमें निर्दिष्ट अज्जवइर हों। तपागच्छकी पट्टावलोके अनुसार इनकी गणना दशपूर्वधारियोंमें की गयी है। अतएव पाल्यकात्ति-शाकटायन यापनीयसम्प्रदायके आचार्य हैं और इनके गुरुका नाम सम्भवत: अर्मकीर्ति रहा होगा। स्थितिकाल पाल्यकीति-शाकटायनके समय-निर्धारणके सम्बन्धमें विशेष मतभेद नहीं है। वादिराज द्वारा निर्देश होनेके कारण इनका समय ई० सन् १०२५ के पूर्व है ।' शाकटायनने लिखा है-ख्यातेऽदृश्ये ॥४१३२०८॥ भूतेऽनद्यतने ख्याते लोकविज्ञाते दृश्ये प्रयोक्तुः सख्यदर्शने वर्तमानाद्धातोलप्रत्ययो भवति । लिङपवादः । अरुणदेवः पाण्ड्यम् । अदहदमोघवर्षोऽरातीन् । त्यात इति किम् ? चकार कटं देवदत्तः । दृश्य इति किम् ? जघान कंसं किल वासुदेवः । अनद्यतन इति किम् ? उदगादादित्यः ।" अर्थात् जो घटना आँखोंके समक्ष घटित हुई हो अथवा लोकविज्ञात हो उसे प्रकट करनेके लिए धातुसे लङ् प्रत्यय होता है। यथा-अरुणदेवः पाण्ड्यम्देव-नप तुंगदेव (अमोघवर्षका नामान्तर) ने पाण्ड्य नरेशको रोका तथा अदहदमोघवर्षोऽरातीन–अमोघवर्षने शत्रुओंको जला दिया। इन उदाहरणोंमें अमोघ१. संस्कृत-काव्य के विकासमें जैन कवियोंका योगदान, डा. नेमिचन्द्र शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, पृ० १७४ । प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोपकाचार्य : १९
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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