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________________ आचार्य जिनसेन प्रथम या द्वितीयके समान गुणभद्र को भी साधना- भूमि कर्नाटक और महाराष्ट्रकी भूमि रही है। इन्हीं प्रान्तोंमें रहकर इन्होंने अपने ग्रन्थोंका प्रणयन किया है । स्थिति-काल गुणभद्राचार्य जिनसेन द्वितीयके शिष्य थे तथा उनके अपूर्ण महापुराण ( आदिपुराण) को इन्होंने पूर्ण किया था। अतः इनका समय आचार्य जिनसेन द्वितीयके कुछ वर्ष बाद ही होना चाहिये। उत्तरपुराणकी प्रशस्ति में ४२ पद्म हैं, जिनमें से आरम्भके २७ पद्म गुणभद्रद्वारा विरचित और अवशेष १९ पद्म उनके शिष्य लोकसन द्वारा विराचत माने जाते हैं । गुणभद्र स्वयं उत्तरपुराणके रचना कालके सम्बन्ध में मौन हैं, पर ३२वेंसे ३६ वें पद्यतक बताया है कि राष्ट्रकूट अकालवर्धके सामन्त लोकादित्य बंकापुर राजधानीमें रहकर समस्त वनवास देशका शासन करते थे । उस समय शक संवत् ८२० में श्रावण कृष्णा पञ्चमी गुरुवार के दिन यह उत्तरपुराण पूर्ण हुआ और जनता इसको पूजा की। अतः गुणभद्रका समय शक संवत् ८२० ई० मन् ८९८ अर्थात् ई० मन् की नवम अतीका अन्तिम चरण सिद्ध होता है। रचनाएँ (१) आदिपुराणगुणभद्राचार्य ने अपने गुरु जिनसेन द्वितीय द्वारा अबूर छोड़े आदिपुराणके ८३ वे पत्रके चौधे पद्य समाप्ति पर्यन्त कुल १६२० पद्य लिखे हैं | (२) उत्तरपुराण - यह महापुराणका उत्तर भाग है । (३) आत्मानुशासन | (४) जिनदत्तचरित काव्य 1 उत्तरपुराण --- अजितनाथ तीर्थंकरसे लेकर महावीर पर्यन्त २३ तीर्थंकर, ग्यारह चक्रवर्ती, नौ नारायण, नौ बलभद्र, नो प्रतिनारायण और जीवम्बर स्वामी आदि कुछ विशिष्ट पुरुषोंके चरित इसमें दिये गये हैं । कथावस्तु पर्याप्त बिस्तृत है। आचार्यने जहाँ-तहाँ कथानकोंको नये रूपमें भी उपस्थित किया है । रामकथा पद्मपुराणकी अपेक्षा भिन्न है। इस कथा में बताया है कि राजा दशरथ काशी देशमें वाराणसीके राजा थे। रामकी माताका नाम सुवाला और लक्ष्मणकी माताका नाम कैकेयी था । भरत, शत्रुघ्न किसके गर्भमें आये थे, यह स्पष्ट नहीं है। सीता मन्दोदरीके गर्भसे उत्पन्न हुई थी । परन्तु भविष्यताओं यह कहने से कि वह नाशकारिणी है, रावणने उसे मंजूषायें रखवा कर मरीचिके द्वारा मिथिलामें भेजकर पृथ्वीमें गड़वा दिया। संयोगसे हल प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : ९
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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