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________________ अर्थात् १२०८ वर्ष व्यतीत होनेपर मार्गशीर्ष कृष्णा तृतीया चन्द्रवारको यह ग्रन्थ समाप्त हुआ । । एक अन्य श्रीधरने अनंगपालके मन्त्री नट्टलसाहूकी प्रेरणापर सं० १९८९ में 'पासणाहचरिउ' की रचना की है । ये कवि हैं और इन्होंने चन्द्रप्रभचरित और वर्धमानचरितकी भी रचना की है । कवि हरियाणा देशके निवासी थे और अग्रवाल कुलमें उत्पन्न हुए थे। आपके पिताका नाम गोल्हू और माताका नाम बिल्हा देवी था । सेनसंघ में श्रीधर नामके एक अन्य प्रसिद्ध आचार्य हुए हैं। ये काव्यशास्त्रके मर्मज्ञ, नानाशास्त्रोंके पारगामी और विश्वलोचनकोषके कर्ता हैं । इनके गुरुका नाम मुनिसेन बताया जाता है । श्रवणबेलगोला के शिलालेख नं० ४२ और ४३ में दो आचार्य आये हैं । एक आचार्य दामनन्दीके शिष्य और दूसरे मलधारिदेव के शिष्य हैं। इस नामके एक आचार्य वैद्यामृतके कर्त्ता भी माने गये हैं । शास्त्रसारसमुच्चयके रचयिता माघनन्दीने अपनी गुरुपरम्परामें श्रीधरदेवका नाम बताया है । I गणितसार के रचयिताका नाम श्रीधराचार्य है । इनके नामके साथ आचार्य शब्द भी जुड़ा हुआ है, अतएव गणित और ज्योतिषमान्य आचार्य श्रीधर उपर्युक्त सभी श्रीधराचार्योंसे भिन्न हैं । नन्दिसंघ बलात्कारगणके आचार्यों में श्रीधराचार्यका नाम यथावत् मिलता है । दशभक्त्यादि महाशास्त्र में कविवर वर्धमानने नन्दिसंघ बलात्कारगणकी गुर्वावली निम्न प्रकार दी है' वर्द्धमान भट्टारक, पद्मनन्दि, श्रीधराचार्य, देवचन्द्र, कनकन्चन्द्र, नयकीति, रविचन्द्रदेव, श्रुतीति देव, वीरनन्दि, जिनचन्द्रदेव, भट्टारक वर्धमान, श्रीधर पण्डित, वासुपूज्य उदयचन्द्र, कुमुदचन्द्र, माघनन्दि, वर्द्धमान, माणिक्यनन्दि, गुणकीत्ति, गुणचन्द्र, अभयनन्दि, सकलचन्द्र त्रिभुवनचन्द्र, चन्द्रकीर्ति, श्रुतकीत्ति, बर्द्धमान, विधवासुपूज्य, कुमुदचन्द्र और भुवनचन्द्र । J उपर्युक्त गुर्वावली में श्रीधराचार्य और श्रीधर पण्डित ये दो व्यक्ति आये है । इनमें श्रीधराचार्य गणितसार, जातकतिलक, कन्नड़ लीलावती, ज्योतिर्ज्ञान १. प्रशस्तिसंग्रह, आरा, पृ० १३३ । २. वस्थ मौरवण्यपद्मनन्दित्रैविधेशो गुणालयः । अभवच्छ्रीधराचार्यस्तत्सधर्मा महाप्रभः ॥ दश भक्त्यादिमहाशास्त्र, जैन सिद्धान्त भवन, बारा, पृ० १०१ । १८८ : सीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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