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________________ मतीसे विवाह किया । यह पृथ्वीश्वर नामक मुनिके दर्शन करने गया । विविध दार्शनिक और धार्मिक विचार सुननेके पश्चात् उसने नई पत्नीके प्रति विशेष आसक्तिका कारण पूछा। मुनिने कहा-तुम दोनोंने पिछले भवमें श्रुतपञ्चमीका व्रत्तानुष्ठान किया था, उसीका यह पुष्यफल है। तदनन्तर मुनिराजने श्रुतपंचमीके विधानका स्वरूप और महत्त्व समझाया। कुमार पिताके घर आ गया । कुमारको अभिषिक्त कर राजा जयन्धर तप करने चला गया। नागकुमारने चिरकाल तक योग्यतापूर्वक राज्य किया और पश्चात् जिनदीक्षा धारण कर मोक्ष लाभ किया। नागकुमारका यह जीवन-चरित काव्यको दृष्टिसे विशेष उपादेय है । कुमार शरीरसे जितना सुन्दर है; बल, पौरुष और कलामें भी उतना ही अद्वितीय है। इसमें पञ्चमीव्रतके अनुष्ठानका फल वणित है। २. महापुराण ___ इस पुगणमें ६३ शलाकापुरुषोंके चरित वर्णित हैं। समस्त पुराण २,००० श्लोकोंमें लिखा गया है। कोल्हापुरके लक्ष्मीसेन भट्टारकके मठमें इसकी एक प्रति कन्नड़ लिपिमें है। कविने रचनाके समाप्तिस्थानकी सूचना देते हुए अपने ग्रन्थकी विशेषताका संक्षेपमें उल्लेख कर दिया है । यथा तीर्थे श्रीमुलगुन्दनाम्नि नगरे श्रीजैनधर्मालये। स्थित्वा श्रीविचक्रवतियतिपः श्रीमल्लिषेणाह्वयः ॥ संक्षेपात्प्रथमानुयोगकथनव्याख्यान्वितं शृण्वताम्, भव्यानां दुरितापहं रचितवान्निःशेषविद्याम्बुधिः ॥१॥ अर्थात् संक्षेपसे प्रथमानुयोगका कथन मव्य जीवोंके पापोंको नष्ट करने वाला है। इस पुराणमें महापुरुषके जीवन-वृत्तोंको संक्षेपमें निबद्ध किया गया है। जो भव्य जीव इस पुराणका स्वाध्याय करेंगे उनका दुरितत्तम विच्छिन्न हो जायगा। ३ भैरवपदमावतीकल्प इस ग्रन्थमें ४०० अनुष्टुप् श्लोक हैं और १० बधिकार हैं । १. मंत्र-लक्षण, २. सकलीकरण, ३. देव्यर्चन, ४. द्वादशरञ्जिकामन्त्रोद्धार, ५. क्रोधादिस्तम्भन, ६. अंगना-आकर्षण, ७. वशीकरण यन्त्र, ८ निमित्त, ९ वशीकरण और १० गारूड़ तन्त्र । यह मन्त्रशास्त्रका प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसपर बन्धुषेणकृत संस्कृत-विवरण भी उपलब्ध है तथा इसी विवरणसहित इसका प्रकाशन भी हुआ है। समस्त ग्रन्थ आर्या और गीति छन्दमें लिखा गया है। मन्त्रीका तात्पर्य साधकसे है। साधक वही हो सकता है जो वीर, पापरहित, गुणोंसे १७४ : तीर्थकर महावीर और उनकी वाचार्यपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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