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________________ यथार्थ रूपमें घटित हुआ है। नागकुमारके जीवनको मर्मस्पर्शी घटनाओंका चमत्कारपूर्ण शैलीमें चित्रण किया गया है। इस काव्यमें श्रुतपञ्चमीव्रतके महात्म्यको बतलानेके लिए रोमांटिक कथा लिखी गयी है | मगधमें कनकपुरका राजा जयन्धर था। उसकी रानी विशालनेत्रासे श्रीधर नामका पुत्र उत्पन्न हुआ । एक व्यापारी सौराष्ट्रसे गिरिनगरकी राजकुमारीका चित्र लेकर आया । राजा उसपर मुग्ध हो गया । मन्त्रीको भेजकर उसने लड़कीको बुलवाकर विवाह कर लिया । नयो रानीका नाम पृथ्वीदेवी था। एक दिन राजा अन्तःपुरसहित जल-क्रीडाके लिए गया और मार्गमें अपनी सौतके वैभवको देखकर पथ्वीमती चिन्तित हुई और चुपचाप जिनमन्दिरमें चली गयी । स्तुति के पश्चात् वह मुनिका आदेश सुनरेगी । मुनिले रामास्वीर होनेकी भविष्यवाणी की। राजा वहाँ पहँचा और रानीको लेकर घर चला आया। समय पाकर राजाको पुत्रलाभ हुआ। राजाने धूम-घामपूर्वक पुत्रोत्सव मनाया। बालक अत्यन्त प्रभावशाली था और बचपनसे ही उसके द्वारा आश्चर्यकारी कार्य होने लगे थे। एक बार वह वापीमें गिर गया, उसकी माँ भी उसमें गिर पड़ी, नीचे एक नागने उसे बचा लिया और इसीलिये उसका नाम नागकुमार पड़ा। यहींपर उसकी शिक्षा-दीक्षा सम्पन्न हुई। कुमार अब पूर्ण युवक हो चुका था। उसने गन्धर्व कुमारियोंको वीणावादनमें परास्त किया, जिससे वे कुमारियाँ उसपर मोहित हो गयी और उसे उनसे विवाह करना पड़ा। एक दिन कुमार जलक्रीड़ाके लिए गया । माँ उसे कपड़े देने गयी थी, परन्तु उसकी सोतने उसे कलंक लगा दिया । राजा चुप रहा । राजाने कुमारके भ्रमण करनेपर रोक लगा दी। इसपर नयी रानी बहुत अप्रसन्न हुई। उसने नागकुमारको घूमनेके लिए प्रेरित किया । वह हाथो पर सवार होकर नगरमें निकला। उसे देखकर कितनी ही कुमारियां मुग्ध हो गयीं । अविभावकोंने राजासे शिकायत की। राजा बहुत नाराज हुआ। उसने कुमारकी मांक गहने और कपड़े छीनकर अधिकारसे वंचित कर दिया । कुमारको यह बुरा लगा। वह द्यूतघर गया और वहाँसे जाएमें उसने बहुत-सा धन जीता। राजकुमारको कला देखकर सभी आश्चर्यचकित थे । कुमारने दुष्ट गजे और अश्वको भी वश किया, जिससे कुमारका यश व्याप्त हो गया। राजाने कुछ समयके लिए नागकुमारसे बाहर घूम आनेके लिए कहा। मथुरामें व्याल और महाव्याल दो राजकुमार थे। वे अपने मन्त्रीको राज्य देकर पाटलिपुत्र के राजा श्रीवर्माकी लड़कियोंके स्वयंवरमें गये। दोनोंके विवाह हो गये । उन्होंने मिलकर अपने ससुरके शत्रुको मार भगाया। छोटा भाई वहीं१७२ : तीर्थंकर महावीर और सनकी वाचार्मपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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