________________
कर लिया था। संस्कृत, प्राकृत आदि विभिन्न भाषाओं के पारंगत विद्वान् थे । स्तुतिविद्याग्रन्यसे इनके शब्दाधिपत्यपर पूरा प्रकाश पड़ता है ।
दक्षिण भारत में उच्च कोटिके संस्कृत-ज्ञानको प्रोत्तेजन, प्रोत्साहन और प्रसारण देने वालोंमें समंतभद्रका नाम उल्लेखनीय है । आप ऐसे युगसंस्थापक है, जिन्होंने जेन विद्याके क्षेत्रमें एक नया आलोक विकीर्ण किया है। अपने समय के प्रचलित नैरात्म्यवाद, शून्यवाद, क्षणिकवाद, ब्रह्माद्वैतवाद, पुरुष एवं प्रकृतिवाद आदिकी समीक्षाकर स्याद्वाद सिद्धांत की प्रतिष्ठा की है । 'अलंकार चिन्तामणि' में 'कविकुञ्जर', 'मुनिबंध' और 'जनानन्द' आदि विशेषणों द्वारा अभिहित किया गया है ।गोल अभिलेखों हो सके प्रणेता और भद्रमूर्ति कहा गया है । इस प्रकार वाङ्मयसे समत्तभद्रके शास्त्रीय ज्ञान और प्रभाकका परिचय प्राप्त होता है ।
जीवन परिचय
समत्तभद्रका जन्म दक्षिणभारत में हुआ था । इन्हें बोल राजवंशका राजकुमार अनुमित किया जाता है । इनके पिता उरगपुर (उरेपुर ) के क्षत्रिय राजा थे । यह स्थान कावेरी नदीके तटपर फणिमण्डलके अंतर्गत अत्यंत समृद्धिशाली माना गया है | श्रवणबेलगोला के दौरवलि जिनदास शास्त्रीके भण्डारमें पायी जाने वाली आप्तमीमांसा की प्रतिके अतमें लिखा है - " इति फणि मंडलालंकारस्योरगपुराधिपसूनोः श्रीस्वामीसमन्तभद्रमुनेः कृतौ आप्तमीमांसायाम्" - इस प्रशस्तिवाक्यसे स्पष्ट है कि समन्तभद्र स्वामीका जन्म क्षत्रियवंशमें हुआ था और उनका जन्मस्थान उरगपुर है । 'राजावलिकये' में आपका जन्म उत्कलिका ग्राममें होना लिखा है, जो प्रायः जगपुरके अंतर्गत हो रहा होगा । आचार्य जुगलकिशोर मुख्तारका अनुमान है कि यह उरगपुर उरेपुरका ही संस्कृत अथवा श्रुतमधुर नाम है, चोल राजाओं की सबसे प्राचीन ऐतिहासिक राजधानी थी । त्रिचितापोली' का ही प्राचीन नाम उरयूर था। यह नगर कावेरीके तटपर बसा हुआ था, बन्दरगाह था और किसी समय बड़ा ही समृद्धशाली जनपद था !
इनका जन्म नाम शांतिवर्मा बताया जाता है । 'स्तुतिविद्या' अथवा 'जिनस्तुतिशतम्' में, जिसका अपर नाम 'जिनशतक' अथवा 'जिनशत कालंकार' है, "गत्वैकस्तुतमेव" आदि पद्य आया है । इस पद्य में कवि और काव्यका नाम चित्रबद्धरूपमें अंकित है। इस काव्यके छह आरे और नव वलय वाली चित्ररचना परसे 'शांतिवर्मकृतम्' और 'जिनस्तुतिशतम्' ये दो पद निकलते हैं । लिखा
१. स्तुतिविद्या, पद्य ११६ ।
१७४ तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परस्परा