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अश्वष्ट
इस नामसे सादृश्य रखनेवाले दो स्थान उपलब्ध हैं :-(१) अश्वक और (२) अष्ठकन । अश्वक प्रदेश पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्तसे परे काबुल नदीके उत्तरभागमें स्थित था। यूनानियोंने इसे–'Aspasioi' नामसे बताया है।' __ अश्वष्टसे अश्वकका सादृश्य अधिक है । अष्टकप्रका उल्लेख टोलमीने किया है, जो हस्तकवप्रका अपभ्रंश है । यह गुजरातमें था ।
इस प्रदेशके सम्बन्धमें निश्चित रूपसे कोई जानकारी नहीं है । दक्षिण भारतके राजाओंमें सालुब नामक एक राजवंशका उल्लेख मिलता है । साल्वमल्ल जिनदास तुलबदेशपर शासन करते थे।
दक्षिणके एक अभिलेखमें बताया गया है कि सालुब राजा पूर्वी प्रदेशसे वहाँ आये थे । अत: साल्ब देशको स्थिति दक्षिण भारतमें कहीं सम्भव है। विगत
आचार्य हेमचन्द्रने अभिधानचिन्तामणिमें विगतका उल्लेख जालन्धरके साथ किया है । रावी, व्यास और सतलज नदियोंका मध्यवर्ती प्रदेश विगत कहलाता था। इसके जालन्धर और कोटकांगड़ा प्रमुख नगर थे। पाटल्चर
निश्चित रूपसे इस नगरके सम्बन्धमें कुछ नहीं कहा जा सकता है। यनानियोंने पाटलिनके नामसे सिन्धुका उल्लेख किया है। बहुत संभव है कि पाटच्चर सिन्धुका पार्श्ववर्ती प्रदेश हो । मौक
कनिघमने पंजाबमें जलालपुरके पास राजा मोघ द्वारा स्थापित मोगका निर्देश किया है। यदि यह मोग ही मौक हो, तो जलालपुरके पास इसकी स्थिति मानी जा सकती है। १. कनिषम : ऐशिएन्ट धौमाफी ऑफ इन्डिया, पृ० ६६७. २. कनिंघम : Ancient Geography of India, Fage 699. ३. Jainism and Karnataka culture (Dharwar). Page 52. ४. Mysore and Kurga, Page 152-53. ५. कनिंघम-ऐशिएंट जागरफी माँव इण्डिया, पु. ६८२. ६. जैनसिधान्त-भास्कर, भाग १२, किरण १, पृ० २०. ७. वही, १० २०.
तीर्थकर महावीर और उनकी देशमा : २४९