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बुद्धिमान और योग्य हो, उसे ही राज्याधिकारी बनाइये” । परीक्षा निम्न प्रकारसे ली जा सकती है :
१. आप एक चीनो भरा हुआ घड़ा पुत्रको दीजिए, जो घड़े को सेवकके सिरपर रखवाकर सिंहद्वारपर रख आये और स्वयं क्रीडा करता हुआ पीछेकी ओर से निकल आये, वहीं मगधका स्वामी होगा ।
२. प्रत्येक पुत्रको एक नवीन घड़ा दीजिए, जो घड़ेको ओससे भर दे, वही मगधका शासक होगा ।
३. सभी पुत्रोंको एक साथ भोजन कराइये, वे जब भोजनमें लीन हों, एक खूंखार कुतेको छोड़ दीजिए। जो पुत्र निर्भय होकर भोजन करता रहे और कुत्तेको भी खिलाता रहे, वही राजा होगा ।
४. जिस समय नगर में आग लगे, उस समय जो पुत्र सिरपर क्षेत्र, चमर धारणकर निकले, वही पुत्र मगधका भावी सम्राट् होगा ।
५. भोजन और जलसे परिपूर्ण वर्त्तन दोजिए, जो पुत्र इन वर्तनोंका मुँह खोले विना ही भोजन और जल ग्रहण कर ले, वही मगधका अधिकारी होगा ।
उपश्रेणिकने उपर्युक्त रूपोंमें अपने सभी पुत्रोंकी परीक्षा की। कुमार श्रेणिक अपनी अद्भुत प्रतिभाके कारण सभी परीक्षाओंमें सफल हुए । उन्होंने घड़ेको ओससे भर दिया। एक मोटा वस्त्र लेकर जिस स्थानकी घास भींगी हुई थी, उस वस्त्रको उस घासपर रखकर कई बार घुमाया और मींगे हुए वस्त्रका जल घड़े में निचोड़ दिया। इस प्रकार कुछ ही घंटोंमें भससे घड़ेको भर दिया ।
भोजन करते समय खूंखार कुत्तेके आनेसे अन्य पुत्र तो भाग गये, पर श्र ेणिकने अपनी थाली मेंसे कुछ भाजन कुत्तेके सामने भी रख दिया, जिससे कुत्ता शांत होकर भोजन करता रहा ! कुमार श्रेणिक भी निश्चिन्त होकर भोजन करता रहा ।
इस प्रकार श्रेणिक बिम्बसार अपनी अद्भुत मेधाके कारण सभी परीक्षाओंमें सफल हुए, जिससे उपक्ष निकने यह निश्चयकर लिया कि मगधका भावी सम्राट् श्रेणिक हो होगा। पर उपश्रेणिक वचनबद्ध होनेके कारण अशांत था । वह सोच रहा था कि मैंने चिलातीपुत्रको राज्य देनेका संकल्प किया है । मेरा यह संकल्प कैसे पूरा होगा ? श्रेणिकके रहते हुए चिलातीपुत्र राजा नहीं हो सकता है । अतएव श्रेणिकका मगधसे निष्कासन आवश्यक है । उपश्रेणिकने श्रेणिकको मगध छोड़कर चले जानेका आदेश दिया । कुमार तीर्थंकर महावीर और उनकी देशना २०५