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मेषिक : वंशपरिचय
ई० पू० छठी शतीमें मगधका शासन शिशुनागवंशीय क्षत्रिय राबाबोंके बाहुओंको छायामें पल रहा था। इसकी उत्पसिके सम्बन्धमें बताया जाता है कि महाभारतयुद्धमें जरासन्धको मृत्युके पएचात् उनके बन्तिम वंशज रिपुञ्जयको मगधका शासनभार प्राप्त हा ।इसके मन्त्री शुकनदेवने वि० सं० पूर्व ६७७ (ई. पू. ६१०) में इसे मार डाला और अपने पुत्र प्रद्योतनको मगधका राजा नियुक्त किया। इस वंशमें वि० सं० ६७७-५८५ (ई० पू० ६१०-५२८) पूर्व तक पालम, विशाखाभूप, जनक और नन्दिवर्द्धनने राज्य किया। अनन्तर इस वंशका पाँचवाँ राजा शिशुनाग हुआ | यह पराक्रमी, प्रतापी, साहसी और शूरवीर था, अतएव इसोके नामपर इस वंशका नाम शिशुनागवंश प्रसिद हुआ । ई०पू० ६४२-४८० तक शिशुनाग, कामवर्ण, कर्मक्षेपण, अपणिक, श्रेणिक या बिम्बसार, कूणिक या अजातशत्र, हर्षक, उदयाश्व, नन्दिवर्षन और महानमि ये दस राजा हुए। ___ उपश्रेणिकके पुत्रका नाम श्रेणिक बिम्बसार था। इसका जन्म ई० पू० ६०१ में हुआ था । उपत्रेणिक मगष-जनपदके राजा थे। राजमूह इनको राजपानी थी । मगधके समीपवत्तों चन्द्रपुरके राजा सोमशमांका उपश्रॉणक साथ युद्ध हुवा और उपणिकने उसे युबमें परास्तकर अपने सम्यकी वृद्धि की । उपणिकको पट्टरानीका नाम इन्द्राणी था । श्रेणिकका जन्म इसीकी कुक्षिसे हुआ था।'
श्रेणिकका बचपन सुखके रंगीन पलकोंमें बसा था। इन्हें बचपनमें मातापिता दोनोंका ही प्यार मिला था। थेणिककी बुद्धिकी प्रशंसा प्रत्येक व्यक्ति करता था । वह असाधारण गुणोंका आगार था । बालक श्रेणिकको विद्यारम्भ कराया गया। उसने अपनी कुशाग्रबुद्धिके कारण पोड़े ही समयमें समस्त विद्याओं, कलाओं और शस्त्र-संचालनमें प्रवीणता प्राप्त कर ली। श्रेणिकमें दान देनेको संस्कारगत प्रवृत्ति थी।
उपश्रेणिकको श्रेणिकके अतिरिक्त अन्य पुत्र भी थे। महाराज उपत्रेणिकने चिलातीपुत्रको राज्य देनेका पहले ही वचन दे दिया था, परन्तु इस समय इन्हें चिन्ता उत्पन्न हुई कि सब पुत्रोंमें सच्चा राज्याधिकारी कौन है ? अतः उन्होंने एक ज्योतिषीको बुलाकर पूछा-"मेरे पुत्रोंमें मेरे राज्यका अधिकारी कौन होगा ?
ज्योतिषीने कहा कि-"महाराज आप अपने पुत्रोंको परीक्षा करें, जो अधिक १. श्रेणिकरित, पृ० १८-३२. २०४ : सीपंकर महावीर और उनकी बाधार्य-परम्परा