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लगता है । धन, सम्पत्ति, राज्य, भोग-विलास आदि वस्तुएं तो बाह्य साधन हैं और अपूर्ण हैं, क्योंकि वे स्वयं नाशवान हैं अतएव हम आपके त्याग, संयम और सत्यानुष्ठानकी प्रशंसा करने एवं आपके वैराग्यका अनुमोदन करनेके लिये यहाँ उपस्थित हुए हैं! आप मसि भूत और जानके भारी विवेकी एवं आत्म-शोधक है । आपकी साधनामें सफलताको तनिक भी आशंका नहीं है । आप अपने संकल्पको अवश्य पूरा कीजिये ।
माताको सांत्वना
इन्द्रको जब अवधिज्ञानसे तीर्थंकर महावीरको विरक्तिका समाचार ज्ञात हुमा, तो वह उल्लासमें पगा कुण्डग्राम आ पहुंचा और उसने कई प्रकारसे हर्षोत्सवका आयोजन किया। देव विभिन्न प्रकारके उत्सवोंका आयोजन करते हुए महावीरके वैराग्यको ला करने लगे । आगत देवोंने माता त्रिशलाको विह्वल देखा तो वे मातृ-हृदयकी प्रशंसा करते हुए सांत्वना के स्वरमें कहने लगे
“जगदम्बे ! तीर्थंकरकी माता होकर आपने महान पुण्य अर्जित किया है । आपका पुत्र परम तेजस्वी और fareer कल्याणकारक है | आप इतना विलाप क्यों करती हैं ? चिन्ता छोड़िये शोत, आतप और वर्षाका कष्ट सहन करनेका उसमें अपूर्व सामर्थ्य है। ये बच्चवृषभनाराचसंहनन से युक्त हैं। धीरजके धनी हैं और समस्त उदात्त गुणोंसे सम्पन्न हैं । इन्हें सर्वोच्च पद तीर्थंकरत्व प्राप्त करना है । यह ऐसा पद है, जिसके समक्ष संसारके समस्त पद और वैभव तुच्छ माने जाते हैं। महावीर स्वयं तो मुक्ति प्राप्त करेंगे ही, पर वे अन्य साधकोंके लिये भी तीर्थंका निर्माण करेगें । विश्श्रृंखलित और विघटित होते हुए समाजका स्थिरीकरण भी इन्हींके द्वारा सम्पन्न होगा। तुम्हारी कुक्षि धन्य है । तुमने एक लोकोद्धारक विभूतिको जन्म दिया है। संसार शताब्दियों तक तुम्हारे चरणवन्दन करेगा | देवि! तुम्हारे समान सौभाग्यशाली नारियाँ कितनी हैं ? अतएव वास्तविक परिस्थितिको ज्ञातकर शान्त हो जाइये " ।
देवोंकी इस सांत्वनाप्रद वाणीको सुनकर माताका मन कुछ हल्का हुआ । फिरभी पुत्र-वियोगकी कल्पना इन क्षणोंमें भी उसे विह्वल बना रही थी । उसे विश्वास नहीं हो पाता था कि उसका लाड़ला महावीर वनकी उन भयावनी स्थितियों का सामना कर सकेगा ? राजसी वातावरण में पालित पोषित और सम्बद्धित महावीर तपश्चर्या में होनेवाले कष्टोंको सहन कर सकेगा ? त्रिशलाका मातृत्व उसे विह्वल कर रहा था। आँखोमें सावन-भादोंके बादल घिरे हुए थे । मन ममता में उफन रहा था और महावीर दीक्षा कल्याणक की तैयारी कर रहे
तीर्थंकर महावीर और उनकी देशना १३१