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माता-सर्वन, हितोपदेशी और वीतराग देव, शास्त्र और गुरुका चिन्तन करनेवाला विचारवान है।
देवियां--परलोकगमन करते समय पाथेय क्या है ? माता-दान, पूजा, वत, उपवास, शील और संयम ही पाथेय है। देवियां-इस लोकमें किसका जन्म सफल है ?
माता-मोक्ष-लक्ष्मीके सुखदायक उत्तम मेद-विज्ञानको प्राप्त करनेवाले व्यक्तिका ही जीवन सफल है।
देवियां संसारमें सुखी कौन है ?
माता-सब प्रकारको परिग्रह-उपाधियोंसे रहित ध्यानरूपी अमृतका स्वाद लेनेवाला योगी ही सुखी है, अन्य व्यक्ति नहीं।
देवियां-संसारमें किस वस्तुकी चिन्ता करनी चाहिये और क्या उपादेय है ?
माता-कर्मोकी निर्जरा करनेकी और मोक्ष लक्ष्मीको प्राप्त करनेकी चिन्ता करनी चाहिये, इन्द्रियसुखोंकी नहीं । अतीन्द्रिय सुख ही उपादेय है।
देवियां-किस कार्यके लिये महान उद्योग करना अभीष्ट है ?
माता-रत्नत्रय और शुखोपयोगको प्राप्त करनेके लिये महान् यत्न करना हो अभीष्ट है।
देवियां-मनुष्योंका परम मित्र कोन है और अमित्र कौन है ?
माता-तप, दान, व्रत, शील, संयम आदिके धारण करनेकी ओर जो प्रेरित करे वही परम मित्र है और जो इन कार्यों में विघ्न करता है तथा हिंसा, असंयम और प्रमाद आदिमें प्रवृत्त करता हो वह अमित्र है।
देवियां संसारमें प्रशंस्य कौन है?
माता-थोड़ा धन रहनेपर भी जो सुपात्रको दान देता हो और निर्बल शरीर रहनेपर भी निष्पाप तपश्चरण करता हो वही प्रशंस्य है।
देवियों-विद्वत्ता क्या है और मूर्खता क्या है ?
माता-शास्त्रोंका ज्ञाता होकर भी जो निन्द्य आचरण और अभिमानका स्पाग करता है तथा पापाचरणसे दूर रहता है वही विद्वान् है । मिथ्याचरण, मिथ्याज्ञान और मिथ्याश्रद्धासे पृथक् रहना ही विद्वत्ता है । जो शानी होकर भी संयम, तप और त्यागका आधरण नहीं करता वही मूर्ष है । सम्यक आचरणसे पृथक् रहना ही भूखंता है। देवियां-बोर कोन है ?
तीर्थकर महावीर और उनकी देशना : १०३