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जलाशय : संवेदनशीलता
जलाशय संवेदनशीलताका प्रतीक है। गर्भस्य बालक मानव-चेतनाका अध्ययन कर संवेदनशील होगा और पथभ्रष्ट मानवताको कल्याणके पथपर पहुंचायेगा । वह पशुओंका गोपाल, शूद्र और नारियोंके आंसुओंको अपने हाथोंसे पोंछनेवाला, सर्वधर्म समभावी और विश्वमैत्रीका प्रचारक होगा। अज्ञानतिमिरको दर हटाकर नव प्रकाश विकीर्ण करेगा और रोते हुए लोगोंके आँसुओंको पांछकर उन्हें गोदामे बैठायेगा। दलित और पतित मानवोंको कण्ठसे लगायेगा, उन्हें सहारा देगा और जाति-मदके विषको दूर कर अमृतमें परिणत करेगा | आडम्बर और गुरुडमको दूर कर अपनी संवेदना द्वारा शान्तिका सन्देश देगा। इतना ही नहीं, वह दुःखी जगसको अपनी सहानुभूति और संवेदना द्वारा सांत्वना देगा। सागर : हृदयको विशालता
गम्भीर घोष करते हुए समुद्रका स्वप्न हृदयकी विशालताका प्रतीक है । मोघजीवी स्वार्थी पण्डितोने मानवताके अधिकारसे वंचित कर जनसामान्यको निरुपाय और निःसहाय बना दिया है। ऐसे व्यक्तियोंको राहत पहुँचाना और उन्हें खोये हुए अधिकारोंकी पुन: प्राप्ति कराना गर्भस्थ बालकका कार्य होगा | उसके हृदयकी विशालसा ही हिंसापूर्ण क्रिया-काण्ड, जातिमद, स्वार्थवश में च-नीचत्व, आदिका निरसनकर मानवताकी यथार्थ प्रतिष्ठा करेगी ! वह अतिभोग और अभावग्रस्त प्राणियोंका विवेक जागत कर उन्हें मानव बनने के लिये प्रेरित करेगा। मनिटित सिंहासन : वर्चस्व और प्रभुत्व
मणिजटित सिंहासन भावी बालकके वर्चस्व और प्रभुत्यका प्रतीक है वह अन्तःसम्पदा और अक्षयनिधि प्राप्त करेगा। उसके जीवन में कत्तत्व और भोक्तृत्वकी अप्रतिम भावसंज्ञाएं विसर्जित हो जायंगी। प्रज्ञाका धनी वह महाचेता बन अपनी चेतनाका ऊर्वीकरण कर स्थिर-प्रकताको प्राप्त करेगा। प्रेम, करुणा और वात्सल्यको अनन्ससामें वह समा जायगा । उसके वित्तकी चंचलसा, चेतनाको चिन्मयतामें रूपान्तरित हो जायगी। बास्माकी गतिशीलता अन्तश्चेतनाके उर्वीकरणका सृजन करेगी । उसका पौरुष जीवनसे पलायन नहीं, जीवनको अन्तनिहित शक्तियोंका स्फुरण करेगा। देव-निमाम कोति
स्वप्नमें देव-विमानके दर्शनसे यह सूचित होता है कि गर्भस्थ बालक स्वर्गसे भ्युप्त हो जन्म ग्रहण करेगा। इस बालककी कीर्ति सर्वत्र व्याप्त हो जायगी। उसके
तीर्थकर महावीर और उनकी देवाना : ९३