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इन जनपदोंमें सात जनपद प्रमुख थे :--
(१) कलिंग-राजषानो दंतपुर, (२) अस्सक-राजधानी पोतम, (३) अवन्ति–राजधानी माहिस्सति, (४) सौवीर--मुख्य नगर रोरुक, (५) विदेह-राजधानी मिथिला, (६) अंग-राजधानी चम्पा,
(७) काशी-राजधानी ताराणसी। भगवतीसूत्र में भी-अंग, बंग, मगह, मलय, मालव, अच्छ, वच्छ (वत्स), कोच्छ, पाढ़ (पुण्ड्र), लाढ़ (राढ़), वज्जि, मोलि (मल्ल), काशी, कोसल, अवाह, संमुत्तर इन सोलह जनपदोंके नाम प्राप्त होते हैं।
बंग–यह मगधके पूर्वमें था। इसकी राजधानो चम्पा थो। आधुनिक विहारके भागलपुरका चम्पानगर आज भी इसकी धरोहरके रूपमें सुरक्षित है। चम्पा उस समय भारतवर्षकी सबसे प्रसिद्ध नगरियोंमें थी । यह कला, संस्कृति, सभ्यता बोर व्यापारका केन्द्र थी । इस राज्यने विशेष उन्नति की, पर शनैः शनैः इसकी शक्तिका ह्रास आरम्भ हुआ। मगषसे सदा संघर्ष होता रहा और अन्तमें मगधने इस राज्यको पराजित कर अपनेमें मिला लिया ।
माष—मगषकी राजधानी राजगृह नगरी थी। उस समय राजगृहका वैभव बहुत ही प्रसिद्ध था। मगधमें पटना और गयाके आधुनिक जिले भी सम्मिलित थे। प्रागबुद्धकालमें बहद्रथ और जरासंघ यहाँके प्रमख शासक थे। बताया जाता है कि अंगके शासक ब्रह्मदत्त और अन्य राजाओंने मगधके राजाओंको परास्त किया था, पर अंतमें मगधको ही जीत हुई।
काशी--इसकी राजधानी वाराणसी थी, जो वरुणा और असी नदियोंके संगमपर बसी थी। यह नगरी बारह योजन विस्तृत बसलायी गयी है ! 'महाबग्ग में काशी देशका विस्तृत वर्णन माया है। वैभव, शिल्प, बुद्धि एवं ज्ञानके लिये यह राज्य प्रसिद्ध रहा है। कोशलराज्यके साथ इसका विशेष संघर्ष रहा है । काशीराज्यकी शक्ति इस संघर्षके कारण दिनानुदिन क्षीण होती गयी और अंतमें इसका पतन हो गया।
कोश-उत्तरप्रदेशके मध्यमें उत्तरकी ओर कोशल राज्य स्थित था। इसकी राजधानी श्रावस्ती थी । मयोध्याका महत्त्व उस समय तक घट गया था
वीर्यकर महावीर और उनकी देशना : ६३