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(६) कुरु | (७) पंचाल |
(८) काशी -- यहाँके दार्शनिक राजा अजातशत्रु प्रसिद्ध थे ।
(९) कोशल |
इन जनपदोंके अतिरिक्त मगध, अंग, आन्ध्र, पुलिन्द, पुण्ड्र और निषध जनपद भी प्रसिद्ध थे ।
भारतीय इतिहासके भालोडनसे अवगत होता है कि महाभारत के उपरान्त उत्तरभारत में वैदिक क्षत्रियोंने बारह राज्योंकी स्थापना की थी: - ( १ ) वत्स, (२) कुरु, (३) पांचाल, (४) शूरसेन, (५) कोसल, (६) काशी, (७) पूर्वविदेह, (८) मगध, (९) कलिंग, (१०) भवन्ति, (११) माहिष्मती और (१२) अश्मक ।
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इन द्वादश राज्योंमें कुरु, पांचाल, कोशल, विदेह और काशी ये पाँच प्रमुख राज्य थे । ये सभी राज्य उस समय वेदानुयायी आर्य क्षत्रियोंके थे। इनके अतिरिक्त अवशिष्ट राज्य श्रमणोपासक क्षत्रियोंके थे, जो पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में अवस्थित थे ।
कहा जाता है कि हस्तिनापुर में कुरु और कुरुवंशियोंका राज्य स्थित था । अर्जुनका पौत्र परीक्षित उस राज्यका अवीश्वर था। इस समय नाग और द्रविड़ जातियाँ अपनी शक्ति बढ़ाने में लगी थीं तथा तक्षशिला और सिन्धुमुखकी पातालपुरी नाग विशेष शक्तिशाली हो गये थे । फलतः तक्षशिला के नागवंशी राजाओं ने कुरु राज्यपर आक्रमण किया और इस युद्धमें परीक्षितको मृत्यु हुई । परीक्षितके पुत्र जन्मेजयको भी नागोंसे युद्ध करते हुए अपना जीवन व्यतीत करना पड़ा । जन्मेजय के पश्चात् शतानीक, अश्वमेषदत्त, और अघिसोमकृष्ण क्रमशः सिंहासनपर आसीन हुए । अधिसोमके समय में अयोध्या में दिवाकर, मगधमें प्रसेनजित, विदेह में जनक एवं पंजाब में प्रवाहण जेबालका प्रभाव वृद्धिगत हो रहा था । अघिसोमके पुत्र निचक्षुके समयमें नागों का आक्रमण विशेष प्रबल हुआ और हस्तिनापुर पर उनका अधिकार हो गया। इसी समय से हस्तिनापुरका नाम नागपुर या हस्तिनागपुर प्रचलित हुआ । सम्भवतः यह घटना ई० पूर्व ८ वीं ९ वीं शताब्दीकी है ।
इस युग में विदेह में भी राज्य क्रान्ति हुई और प्रजाने कहाँके कामी राजा कराल - जनकको समाप्त कर विदेहसे जनकोंकी राजसत्ताका अन्त कर दिया और वहाँ संघराज्यकी स्थापना हो गयी। उसी समय विदेह के पड़ोस में वैशाली के लिच्छवियोंका संघराज्य विकसित हो रहा था । अतः विदेहका संघराज्य
तीर्थंकर महावीर और उनकी देशना ६१