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तृतीय परिच्छेद समसामयिक परिस्थितियाँ, महान् विचारक एवं संप्रदाय
ई० पूर्व ६००-७०० में भारतमें ही नहीं विदेशोंमें भी जनक्रान्ति और धर्मक्रान्ति हुई थी। इस युगमें राजनीति, समाज और धर्मसंबन्धी मान्यताएँ परिवर्तित हो रही थीं। समस्त संसारके मानवका मस्तिष्क उद्विग्न था । फलतः धार्मिक अभ्युत्थानके हेतु चीन में लाओत्से और कन्फ्यूशियस एवं यूनान में सोक्रेटिज तथा प्लेटोने जनमानसको बदलनेका प्रयास किया था। प्रसिद्ध इतिहासकार एच० जी० वेल्सका अभिमस है कि ई० पूर्व छठी शताब्दी संसारके इतिहासमें महत्त्वपूर्ण काल है। इस शताब्दी में मनुष्यकी चेतना सर्वत्र रूढ़िवादी परम्पराओंको बदलनेके लिये क्रियाशील थी। प्रत्येक विचारक रूढ़ियों, बुराईयों और स्वार्थीका ध्वंसकर मानवताको नयी प्रतिष्ठा करनेके लिये प्रयत्नशील था। लिखा है-- (This sixth Century B, C. was indeed one of the most remarkable
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