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________________ [ ६२१ गाथा : ५-६ ] णवमो महाहियारो सिद्धों की संख्यातीव-समयाण संखं, अउ-समयभहिय-मास-छक्क-हिदा । अड-हीण-छस्सया'-हव-परिमाण-जुदा हवंति ते सिद्धा ॥५॥ अ । ५६२२ । मा६1 स. संखा गदा ॥ २॥ अर्थ-प्रतीत समयों की संख्या में छह मास और ८ समय का भाग देकर आठ कम छह सौ अर्थात् ५६२ से गुणा करने पर जो प्राप्त हो उतने [ (अतीत समय: ६ मास ८ समय) x ५९२] सिद्ध हैं ||५|| स्या का जशन समाप्त हुआ ।।२।। सिद्धों को अवगाहनापण-कदि-जुद-पंच-सया, प्रोगाहणया धणि उक्कस्से । प्राउडः - हत्यमेत्ता, सिद्धारण जहष्ण - ठाणमिम ॥६॥ ५२५ । हहै। मर्थ-इन सिद्धों की उत्कृष्ट अवगाहना पाँच के वर्ग से युक्त पांच सौ [ (५४५)+ ५०० =५२५ ] धनुष है और जघन्य महगाहना साढे तीन (३३) हाथ प्रमाण है ॥६।। सणुवाद-बहल-संख, पण-सय-सवेहि ताणिण तदो। पग्णरत - सएहि भजिदे, उक्कस्सोगाहणं होदि ॥७॥ १५७५ । ५०० | ५२५ ।। अर्थ-तनुवात के बाहल्य की संख्या ( १५७५ १०) को पांच सौ ( ५०० ) रूपों से गुणा कर पन्द्रह सौ का भाग देने पर जो लब्ध प्राप्त हो उतना । (१५७५४५००): १५०० ] अर्थात् ५२५ १० उत्कृष्ट अवगाहना का प्रमाण होता है ।।७।। तणुवाद बहल-संखं, पण-सय- रुधेहि साणिवूण तो । रणव - लक्खेहि भजिदे, जहण्णमोगाहणं होवि ८॥ १. द.ब.क. ज. ठ. छसयावाद। ३... .ज.४. देगाणि। २.व. ब. अमा ५१२ । ४, द.ब.१५००।१५७५। ५००।१।५२५ ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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