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गाथा : ५-६ ]
णवमो महाहियारो
सिद्धों की संख्यातीव-समयाण संखं, अउ-समयभहिय-मास-छक्क-हिदा । अड-हीण-छस्सया'-हव-परिमाण-जुदा हवंति ते सिद्धा ॥५॥
अ । ५६२२ ।
मा६1 स.
संखा गदा ॥ २॥ अर्थ-प्रतीत समयों की संख्या में छह मास और ८ समय का भाग देकर आठ कम छह सौ अर्थात् ५६२ से गुणा करने पर जो प्राप्त हो उतने [ (अतीत समय: ६ मास ८ समय) x ५९२] सिद्ध हैं ||५||
स्या का जशन समाप्त हुआ ।।२।।
सिद्धों को अवगाहनापण-कदि-जुद-पंच-सया, प्रोगाहणया धणि उक्कस्से । प्राउडः - हत्यमेत्ता, सिद्धारण जहष्ण - ठाणमिम ॥६॥
५२५ । हहै। मर्थ-इन सिद्धों की उत्कृष्ट अवगाहना पाँच के वर्ग से युक्त पांच सौ [ (५४५)+ ५०० =५२५ ] धनुष है और जघन्य महगाहना साढे तीन (३३) हाथ प्रमाण है ॥६।।
सणुवाद-बहल-संख, पण-सय-सवेहि ताणिण तदो। पग्णरत - सएहि भजिदे, उक्कस्सोगाहणं होदि ॥७॥
१५७५ । ५०० | ५२५ ।।
अर्थ-तनुवात के बाहल्य की संख्या ( १५७५ १०) को पांच सौ ( ५०० ) रूपों से गुणा कर पन्द्रह सौ का भाग देने पर जो लब्ध प्राप्त हो उतना । (१५७५४५००): १५०० ] अर्थात् ५२५ १० उत्कृष्ट अवगाहना का प्रमाण होता है ।।७।।
तणुवाद बहल-संखं, पण-सय- रुधेहि साणिवूण तो । रणव - लक्खेहि भजिदे, जहण्णमोगाहणं होवि ८॥
१. द.ब.क. ज. ठ. छसयावाद। ३... .ज.४. देगाणि।
२.व. ब. अमा ५१२ । ४, द.ब.१५००।१५७५। ५००।१।५२५ ।