SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 652
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८४ ] तिलोयपण्यत्ती [गाया ! ५६५-५६७ अर्थ-पहले दूसरे युगल, ब्रह्मादि चार और प्रानतादि चार, इन बारह कल्पोंमें, अधस्तन, मध्यम, उपरिम घेवेषकों में तथा शेष ( अनुदिश और अनुत्तर ) विमानों में देवों के अपने-अपने भोजन के काल का जो प्रमाण कहा गया है उसमें उतने प्रमाण मुहूर्त में श्वासोच्छवास का संचार होता है ।।५६३-५६४॥ देवोंके शरीरका उत्सेधदेवाणं उच्छेहो, हत्था - सत्त - छ - पंच - चत्तारि । कमसो हवेदि तत्तो, पसेक्कं हत्थ - दल - हीणा ॥५६॥ ७।६।५।४।३।३। ।२।३।१ अर्ष-देवोंके शरीरका उत्सेध क्रमशः सात, छह, पांच और चार हाथ प्रमाण है, इसके आगे प्रत्येक स्थान पर अधं-अर्ध हाप होन होता गया है ।।५६५।। विशेषार्थ-देवों के शरीर की ऊंचाई सौधर्म कल्प में ७ हाथ, ईशान कल्पमें ६ हाथ, सनत्कुमार में ५ हाथ, माहेन्द्र कल्पमें ४ हाथ, ब्रह्म कल्प से सहस्रार करूप पर्यन्त ३३ हाथ, पानतादि चार करूपोंमें ३ हाथ, अधोवेयकमें २३ हाथ, मध्यम में २ हाथ, उपरिममें १६ हाथ और अनुदिश एवं अनुत्तर विमानों के दयों के शरीर की ऊंचाई एक हाथ प्रमाण है ।। बुस दुस चउसु दुस सेसे सत्तच्छ - पंच - चत्तारि । ततो हत्य - दलेणं, हीणा सेसेस पुष्वं व ॥५६६॥ ७।६।५।४। ।३। ।२।३।१। पाठान्तरम् । अर्थ-देवोंके शरीरकी ऊंचाई दो अर्थात् सौधर्मशानमें ७ हाथ, दो ( सानत्कुमार-माहेन्द्र) में ६ हाथ, चार ( ब्रह्मादि चार ) में ५ हाथ और दो ( शुभ-महाशुक्र ) में ४ हाथ है। शेष कल्पोंमें अर्ध-अर्ध हस्त प्रमाण हीन होता गया है । अर्थात् शतार-सहस्रारमें ३३ हाथ और पानतादि चारम ३ हाथ प्रमाण है । शेष ( कल्पातीत विमानों ) में पूर्व के सदृश अर्थात् अधोग्रेवेयकमें २२ हाथ, मध्यम ० में २ हाथ और उपरिम ३० में १३ है । शेष विमानोंमें पूर्ववत् अर्थात् अनुदिश और अनुत्तर विमानोंमें शरीरका उत्सेध एक हाथ प्रमाण है ।।५६६॥ . पाठान्तर । एवे सहाव • जादा, देहुच्छेहो हुवंति देवाणं । विकिरियाहि ताणं, विचित - मेवा विराजंति ।।५६७॥ उच्छहो गदो ॥१२॥
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy