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________________ गाथा : ४८९-४९३ ] अट्ठमो महाहियारो [ ५६१ चोद्दस-ठाणेसु तिया, पंचेक्कंक - कमेण पल्लारिण । एक्का कला य आऊ, उक्कस्से पउम - पडलम्मि ॥४८६॥ १५३३३३३३३३३३३३३३ । । । अर्थ-अंक क्रमसे चौदह स्थानों में तीन, पांच और एक, इतने पल्य तथा एक कला (१५३३३३३३३३३३३३३३ पल्य ) प्रमाण पर पटलमें उत्कृष्ट प्रायु है ।।४८९॥ चोहस-ठाणे सुण्णं, छक्केक्कक - कमेण पल्लाणि । उक्कस्साऊ लोहिब - सेढी - बद्ध - प्पइंण्णएसुपि ॥४६०।। १६०००००००००००००० ! अर्थ-अंक क्रमसे चौदह स्थानों पर शून्य, छह और एक, इतने {१६०००००००००००००० पस्य ) प्रमाण लोहित इन्द्रक, श्रेणीबच और प्रकीर्ण कोंमें उत्कृष्ट आयु है ॥४९॥ पण्णरस - ट्ठाणेसु, छक्कं एक्कं कमेण पल्लाई। वोणि कलाओ पाऊ, उक्कस्से वज्ज - पडलम्मि ३४६१॥ १६६६६६६६६६६६६६६६ । । । अर्थ-अंक क्रममे पन्द्रह स्थानों में छह और एक, इतने पत्य एवं दो कला (१६६६६६६६६६६६६६६६३ पल्य ) प्रमाण व पटलमें उत्कृष्ट आयु है ।।४६१॥ चोहस-ठाणेसु तिया, सत्तेक्कक - कमेण पल्लाणि । एक्क • कला उपकस्सो, णाधट्टम्मि आउस्सं ॥४६२॥ १७३३३३३३३३३३३३३३ । । । प्रयं-अंक क्रमसे चौदह स्थानोंमें तीन, सात और एक, इतने पल्य एवं एक कला ( १७३३३३३३३३३३३३३३३ पत्य ) प्रमाण नन्द्यावर्त पटल में उत्कृष्ट आयु है ।। ४९२।। चोद्दस - ठाणे सुण्णं, अद्वै क्कंक • कमेण पल्लाणि । उक्कस्साउ • पमाणं, पडलम्मि पहंकरे होवि' ॥४६३॥ १८०००००००००००००० । १. ब. होहि।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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