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________________ [ ५५९ अर्थ - अंक क्रमसे चौदह स्थानों में छह और आठ इतने पल्य तथा दो कला ( ८६६६६६६६६६६६६६६ पल्य ) प्रमाण समस्त ऋद्धोश पटल में उत्कृष्ट आयु है || ४७९ ।। - ठाणे तिया पर्वक कमसो हुवंति पल्लाणि । एक्क - कला - बेहलिए, उक्कस्साऊ सपदरम्मि ||४८० || माथा : ४८०-४६४ ] ९३३३३३३३३३३३३३३ । 1 प्रथं - अंक क्रम से चौदह स्थानों में तीन और नौ, इतने पल्य एवं एक कला ( ९३३३३३३३३३३३३३३३ पल्य ) प्रमाण वैडूर्य पटल में उत्कृष्ट आयु है | १४८०॥ म महाहिया ( ११३ परणरस' द्वाणेसु णहमेकंक - वकमेण पल्लागि । - 1 उपकस्साऊ रुचकदयम्मि सेढी पइण्णएस पि ॥ ४६१ ॥ - 2000000000000000| अर्थ--अंक क्रमसे पन्द्रह स्थानों में शून्य और एक इतने ( १००००००००००००००० +) पल्य प्रमाण रुचक इन्द्रक एवं उसके श्रीबद्ध और प्रकीर्णक विमानोंमें उत्कृष्ट प्रायु है ।।४८१ ॥ चोल - ठाणे छक्का, हमेकंक वकमेण पल्लाणि । दोणि कलाओ रुचिरिवयम्मि आउस्स उक्कस्सो ||४८२ ।। १०६६६६६६६६६६६६६६ । १ । अर्थ - अंक क्रमसे चौदह स्थानोंमें छह, शून्य और एक इतने पल्य और दो कला { १०६६६६६६६६६६६६६६३ पल्य ) प्रमाण रुचिर इन्द्रकमें उत्कृष्ट आयु है ।।४८२ ।। चोद्दस ठाणेसु तिथा, एक्केक्क - कमेण होंति पल्लाणि । एक्क-कल चिचय किंवयम्मि आउस्स उपकस्सो ||४८३|| ११३३३३३३३३३३३३३३ । उ॑ । -- अर्थ - अंक क्रमसे चौदह स्थानों में तीन, एक और एक इतने पल्य और एक कला ३३३३३३३३३ पल्य ) प्रमाण त इन्द्रकमें उत्कृष्ट आयु है ||४८३ || चोट्स - ठाणे सुष्णं, दुगमेषक - वकमेण पल्लाणि । उक्कस्साक पडिवियम्मि सेढी पइण्णएस पि ॥ ४६४ || १. द. चोस । २. द. ब. ति । १२००००००००००००००।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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