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________________ गाया ! ४७१-४७४ ] अट्ठमो महाहियारो [ ५५७ ___ अर्म-अंक क्रमसे चौदह स्थानोंमें छह और दो इतने पल्य एवं दो कला [६६६६६६६६६६६६६६४४=२६६६६६६६६६६६६६६७ पल्य ] प्रमाण वागु इन्द्रकमें उत्कृष्ट आयु है ॥४७०॥ पण्णरस-ट्रारणेस, तियाणि अंक - एकमेण पल्लाणि । एक्फ - कला उक्कस्से, प्राऊ वीरिचय - समूहे' ।।४७१॥ ३३३३३३३३३३३३३३: ।। अर्ष-अंक क्रमसे पन्द्रह स्थानों में तीन, इतने पल्य भौर एक कला [६६६६६६६६६६६६६३ x५=३३३३३३३३३३३३३३३३ पल्य ] प्रमाण वीर इन्द्रक तथा उसके श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णकों में उत्कृष्ट आयु है ।।४७१। चोदस - ठाणे सुण्णं, चउपकमकक्कमेण पल्लाणि । उपकस्सा प्रणिक्यम्मि सेढी - पहण्णएस च ।।४७२॥ ४०००००००००००००० । अपं-अंक क्रमसे चौदह स्थानोंमें शून्य और चार इतने ( ४००००००००००००००) पल्य प्रमाण अरुण इन्द्रक तथा उसके श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक विमानोंमें उत्कृष्ट माय है ॥४७२।। चोदस-ठाणे छक्का, चउपकमक - कमेण पल्लाणि । दोणि कलानो णवण - णामे आउस्स उक्कस्सो ॥४७३॥ ४६६६६६६६६६६६६६६ । । । अर्थ - अक ऋमसे चौदह स्थानोंमें छह और चार, इतने पत्य एवं दो कला (४६६६६६६६६६६६६६६३ पल्य ) प्रमाण नन्दन नामक पटलमें उत्कृष्ट प्रायु है ।।४७३।। घोहस-ठाणेसु तिया, पंचक्क-कमेण होंति पल्लाणि । एक्क-कला लिरिंगवय - रगामे प्राउस्स उपकस्सो ॥४७४।। ५३३३३३३३३३३३३३३ ।।। अयं - अंक क्रमसे चौदह स्थानों में तीन और पांच, इतने पत्य एवं दो कला ( ५.३३३३३३३३३३३३३३३ पल्य) प्रमाण नलिन नामक इन्द्रको उत्कृष्ट प्राय है ।।४७४।। ..
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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