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तिलोय पण्णत्ती
तस्सिदयस्स उत्तर बिसाए बत्तीस अट्ठारसमे चेट्ठदि, इंदो ईसाण
Fara नामक इन्द्र स्थित है ( चित्र इसप्रकार है )
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अर्थ – इसी इन्द्रककी उत्तर दिशा के बत्तीस श्र ेणीबद्धोंमेंसे अठारहवें श्रीबद्ध विमानमें
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||३४२ ॥
शान
ऐडयन इन्द्र का
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अबा ਸਮੇਂ
इन्द्रक
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दिये में मिलाए
पढमा प्रतीसे, वषिण-पंतीए चक्क
णामस्स ।
पणुवीस सेढिबद्ध, सोलसमे तह सणक्कुमारियो ।। ३४३ ||
वास
सोलहवें श्रीबद्ध विमानमें सानत्कुमार इन्द्र स्थित है ||३४३ ||
A
अर्थ- पहले से अड़तीसवें चक्र नामक इन्द्रकको दक्षिण पंक्ति में पच्चीस श्र ेणीबद्धों में से
सेडिबद्ध सु
णामो य ।। ३४२ ॥
तस्सिवयस्स उत्तर विसाए पणुवीस-सेहिबद्धम्मि ।
सोलसम सेढिबद्ध, चेटू दि माहिव णामिवो ॥ ३४४॥
[ गाथा : ३४२-३४५
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अर्थ - इस इन्द्ररूको उत्तरदिशा में पच्चीस श्रं गीबद्धोंमेंसे सोलहवें श्रेणीबद्ध में माहेन्द्र नामक इन्द्र स्थित है ।। ३४४ ||
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बहुत्तरस्स दक्षिण-विसाए इगियोस सेढिबद्ध सु ।
चोसम सेढिबद्ध, चेटुवि हु बम्ह कप्पिदो || ३४५ ।।
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- ( पहले से बियालीसवें ) ब्रह्मोत्तर नामक इन्द्रक की दक्षिण दिशा में इक्कीस श्रेणी
बों से चौदहवें श्रेणीबद्ध विमान में ब्रह्म कल्पका इन्द्र स्थित है ||३४५ ।।