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________________ ५१४ ] तिलोपपत्ती लोकपालोंक श्रनीकादि परिवार देव सोमाथि -दिगिदाणं, सत्ताणीयारिग होंति पक्कं । श्रावस सहस्सा, पढमे सेसेसु दुगुण कमा ॥ २६३ ॥ अर्थ- सोमादि लोकपालोकी जो सात सेनाएं होती है उनमें से प्रत्येक ( सेनाको ) प्रथम कक्षा में अट्ठाईस हजार ( वृषभादि ) हैं और शेष कक्षाओं में द्विगुणित क्रम है ।। २९३ ।। पंचत्तीसं लक्खा, झप्पण्ण - सहस्सयाणि पत्तेक्कं । सोमादि दिगिदाणं, हवेवि बसहादि परिमाणं ॥ २९४ ॥ [ गाथा : २९३ २९७ - - - ३५५६००० । अर्थ- सोमादि लोकपालोंमेंसे प्रत्येकके वृषभादिका प्रमाण पैंतीस लाख छप्पन हजार ( २८००० x १२७ = ३५५६००० ) है ।। २९४ ॥ दो-कोडीओ लक्खा, अडवाल सहस्सयाणि बाणउबी । सतारणीय पत्तेक्कं लोयपालाणं ।। २६५ ॥ पमारणं, - २४८९२००० | अर्थ - लोकपालोंमें से प्रत्येक के सात अनो कोंका प्रमाण दो करोड़ अड़तालीस लाख बानबे हजार ( ३५५६००० X ७ - २४५९२००० ) है ।। २९५ ।। जे अभियोग पइण्णय - किव्विसिया होंति लोयपालाणं ग ताण पमाण णिरुवण उवएसा संपइ पणट्टो ॥ २६६॥ - अर्थ-- लोकपालोंके जो अभियोग्य प्रकीर्णक और किस्विषिक देव होते हैं उनके प्रमाण के निरूपणका उपदेश इससमय नष्ट हो गया है ।। २९६ ।। लोकपालोंके विमानोंका प्रमाण छल्लक्खा छासड्डी - सहस्सया छस्सयाणि छात्रट्टो | सक्क्स्स दिगिदाणं, विमाण संखा थ पक्कं ॥ २६७॥ ६६६६६६ । - सौधर्म इन्द्र के लोकपालोंमेंसे प्रत्येकके विमानोंकी संख्या छह लाख छासठ हजार छह सौ छासठ ( ६६६६६६ ) है ।। २९७ ॥
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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