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विषय
[ ५६ ]
गाथा / पृ० सं०
ज्येष्ठा नक्षत्र का एक मुहूर्त का
गमनक्षेत्र
पुष्पादि नक्षत्रों में से प्रत्येक के गमन
क्षेत्र का प्रमाण
४८९।३६१
नक्षत्रों के मण्डल क्षेत्रों का प्रमाण
४९१।३८१
स्वाति आदि पनि नक्षत्रों की अवस्थिति ४१३।३८२
कृतिका आदि नक्षत्रों के उदय एवं बस्त
आदि की स्थिति
जम्बूद्वीपस्थ पर एवं पचर तारामों का
शिक्षण
चन्द्र से तारा पर्यंन्स ज्योतिषीदेवों के यमन विशेष
सूर्य एवं चन्द्र के प्रयन और उनमें दिनरात्रियों की संख्या
४८.८३८०
४९५।३८२
४६६०३८६
Yes Y
१००/३८५
५०३।३८५
अभिजित् नक्षत्र के अखण्ड नक्षत्र, चन्द्र एवं सूर्य द्वारा एक मुहूर्त में लांघने योग्य गगन खण्डों का प्रमाण
सूर्य की अपेक्षा चन्द्र एवं नक्षत्र के अधिक
गगनखण्ड
सूर्य के तीस मुहतों के गगनखण्डों का
प्रमाण
त्रैराशिक द्वारा प्राप्त १८६० नमखण्डों
के गमन मुहूर्त का काल
५.१२।३५८
नक्षत्र के तीस मुहतों के अधिक नभखंड ४१४/३८८ त्रैराशिक द्वारा प्राप्त १५० नमखण्डों का
अतिक्रमण काल
५०८/२०६
५१०/३५७
१११०३८८७
५१५।३८१
सूर्य और चन्द्र की नक्षत्रमुक्तिका विधान ५१७/३८६
सूर्य के साथ प्रभिदि नक्षत्र का
भुक्तिकाल
५१८३८९
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विषम
गाथा / पृ० सं०
सूर्य के साथ जघन्य नक्षत्रोंका मुक्तिकाल ५२० ३९०
" उत्कृष्ट नक्षत्रों
५२१।३९०
21 मध्यम नक्षत्रों
11
५२२।३६१
चना के साथ अभिजित् का मुक्तिकाल ५२३/३६१
जघन्य नक्षत्रों का मुक्तिकाल ५२५३६२
मध्यम का योग
५२६३६२
५२७१३९३
५२८/३९३
12
"
"
॥
"
"
"
"
12
"उत्कृष्ट
सूर्य सम्बन्धी अयन
दक्षिण एवं उत्तर अपनों में आवृत्ति
संख्या
" " "
"
५.२६/१६३
एक युग के विषुपों की संख्या
५३०/३९४
तिथि, पक्ष और पर्व निकालने की विधि ५३१/३६४ बाबुति और विषुप के नक्षत्र प्राप्त
करने की विधि
युग की पूर्णता एवं उसके प्रारम्भ की
तिथि बोर दिन मदि
दक्षिणायन सूर्य की द्वितीय और तृतीय प्रावृत्ति
तु और पंचम बावृत्ति
सूर्य सम्बन्धी पाँच उतरावृत्तियाँ युग
के बस अपनों में विषयों के पर्व, तिथि और नक्षत्र
उत्सर्पिणी अवसविणी कालों के दोनों
नों का एवं विषुपों का प्रमाण लवणसमुद्र से पुष्कराक्षं पर्यन्त के चन्द्र विम्बों का विवेचन
५३२/३६५
५३३।३९५
५३४३६५
५३५०३६५
५.३७३३१६
५४१३३९७
५५१०३६६
घर के अभ्यन्तर पथ में स्थित होने पर प्रथम पथ व द्वीपसमुद्र जगती के बीच प्रन्तराल
५५४।४०१
५१८/४०२