SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ५८ ] विषय गाथा/पृ० सं० | विषय गाथा/पृ० सं० सयों के उदय अस्त के विवेचन का धनों सूर्यो के प्रथम मार्ग से द्वितीय मार्ग में निर्देश ४२२३५८ प्रविष्ट होने की दिशाएं ४५१६६७ जोवा और धनुष की कृति प्राप्त करने सूर्य के प्रथम और बाह्य मार्ग में स्थित की विधि ४२४१३५ रहसे दिन-रात्रि का प्रमाण ४५२।१६७ हरिवषे क्षेत्र के बारण का प्रमाण ४२५५३५९ सूर्य के उदय स्थानों का निरूपण ४५६।१६८ सूर्य के प्रथम पथ से हरिवर्व क्षेत्र के प्रहों का निरूपण ४५९।१६६ बाण का प्रमाण ४२६।३५६ चन्द्रपथों में संचार करनेवाले नक्षत्र ४६१।३७० प्रथम पथ का सूची ध्यास ४२८।३६० प्रत्येक नक्षत्र के तारापों की संख्या ४६५४३७२ प्रथम पथ से हरिवर्ष क्षेत्र के धनुष की प्रत्येक तारा का आकार ૪૬૭ ૨૩૨ कृति का प्रमाण ४२६।३६. कृति का आदि नक्षत्रों को परिवार ताराए' प्रथम पथ से हारवर्ष क्षेत्र के धनुः और सकल ताराए ४७०।३७३ पृष्ठ का प्रमाण जपन्य, उत्कृष्ट और मध्यम नक्षत्रों के नाम निषध पर्वत की उपरिम पृथ्वी का तथा इन तीनों के गगनखण्डों का प्रमाण ४७२१३७६ प्रमाण ४३११३६१ अभिजित नक्षत्र के गगनखण्ड ४७४॥३७॥ चक्षुम्पर्श के उत्कृष्ट क्षेत्र का प्रमाण ४३२।३६१ एक मुहूर्त के गगनखण्ड ४७५३७६ भरतक्षेत्र के चक्रवर्ती धारा सूर्यबिम्ब में स्थित जिननिम्ब का दर्शन ४३४१३६२ सर्व मगनखणों का प्रमाण मोर बाकार ४७६१३७७ ऐरावत क्षेत्र के चक्रवर्ती द्वारा सूर्यस्थित सर्व गगनखण्डों का अतिक्रमण काल ४७५।२७७ जिनबिम्ब-दर्शन चन्द्र को प्रथम वोथी में स्थित १२ नक्षत्रों प्रथम पप में स्थित सूर्य के भरतक्षेत्र में मा एक मुहूर्त का गमनकष ४०1३७६ उदित होने पर क्षेमा आदि सोलह क्षेत्रों पन्द्र की तीसरी वीथी स्थित नक्षत्रों का में रात दिन का विभाग ४३५१६३ समनक्षेत्र ४५२११७८ प्रथम पत्र में स्थित सूर्य के ऐरावत क्षेत्र में कृत्तिका नक्षत्र का एक महतं का उदित होने पर प्रवध्या आदि १५ नगरियों সাধ ४६३१३७९ में रात दिन का विभाग ४४३२३६५ चित्रा और रोहिणी का एक मुहूर्त का भरत ऐरावत में मध्याह्न होने पर विदेह गमनक्षेत्र ४८४१३७९ में रात्रि का प्रमाण ४४६३६६ विशाखा नक्षत्र का एक मुहूर्त का नीश पर्वत पर सूर्य का उदय अस्त ४७३६६ गमनक्षेत्र ४८६।३० भरत ऐरावत क्षेत्र स्थित पक्रातियों द्वारा अनुराधा नक्षत्र का एक मुहूर्त का अदृश्यमान सूर्य का प्रमाण ४४८३६६ । गमनक्षेत्र ४८७३८०
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy