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गाथा : २४०-२४३ ]
अट्टम महाहियारो
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अर्थ - ईशान इन्द्रके एक करोड़ एक लाख साठ हजार वृषभ और तुरगादिकमेंसे प्रत्येक भो इतने प्रमाण ही होते हैं ।। २३६ ।।
विशेषार्थ - प्रथम अतीककी प्रथम कक्षमें ८०००० वृषभ है अतः ८००००×१२७= १०१६०००० | १०१६००००७-७११२०००० |
लक्खाणि एक्करण उदो, चउवाल- सहस्सयारिण बसहाणि ।
होति हु तदिए इंदे, तुरयावी तेतिया वि पत्तेक्कं ॥ २४० ॥
६१४४००० | पिंड ६४००८००० ।
अयं तृतीय ( सनत्कुमार ) इन्द्र के इक्यानवे लाख चवालीस हजार ( ७२०००×१२७= ६१४४००० ) वृषभ और तुरगादिकमेंसे प्रत्येक भी इतने प्रमाण ही होते हैं ।। २४० ॥
६१४४००० × ७ = ६४००८००० ।
अट्ठासीढी लक्खा, उवि -सहस्साथि होंति वसहाणि ।
माहिदि तेशियमेत्ता तुरयाविणो वि पत्तेयकं ॥। २४१ ॥
८८९०००० | पिंड ६२२३०००० ।
अर्थ- माहेन्द्र इन्द्र के अठासी लाख नब्बे हजार ( ७००००४१२७-८८९०००० ) वृषभ और तुरगादिकमेंसे प्रत्येक भी इतने प्रमाण ही होते हैं । २४१ ॥
८८६०००० x ७-६२२३०००० |
छाहतरि लक्खाणि वीस-सहस्त्राणि होंति व सहाणि ।
बहवे पत्रोक्कं तुरयप्पहूदी वि तम्मे ॥ २४२ ॥
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७६२०००० । पिंड ५३३४०००० ।
अर्थ- ब्रह्मन्द्रके छिहत्तर लाख बीस हजार ( ६००००X१२७७६२०००० ) वृषभ और तुरगादिकमेंसे प्रत्येक भी इतने प्रमाण ही होते हैं ।। २४२ ॥
७६२०००० x ७=५३३४०००० |
तेसट्ठी-लक्खाणि, पण्णास लहस्सयाणि वसहाणि ।
लंतव द्वंबे होंति हु. तुरयादी तेतिया वि पत्तेक्कं ॥ २४३ ॥
६३५०००० । पिड ४४४५०००० ।
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