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________________ -:-- गाया : १६१-१६४ ] अट्ठमो महाहियारो [ ४८१ सभी कल्पाकल्पोंके पृथक्-पृथक् श्रेणीबद्ध और इन्द्रक विमानोंका प्रमाण तेवालीस-सयाणि, इगिहतरि • उत्तराणि सेडिगया। सोहम्म - णाम - कप्पे, इगितीसं इंदया होति ॥१६॥ ४३७१ । ३१ । अर्थ-सीधर्मनामक कल्पमें तैंतालीस सौ इकहत्तर श्रेणीबद्ध विमान और इकतीस ( ३१) इन्द्रक विमान हैं ।।१६१। विशेषार्थ-उपर्युक्त गाथा-सूत्रानुसार सौधर्मकल्पके श्रेणीबद्ध = [ ( १८६४२+३)(३१४३ )]x३१-४३७१ हैं । सतावण्णा चोद्दस - सयाणि सेटिंगवाणि ईसाणे । पंच • सया अडसीवी, सेढिगया सत्त इंश्या तदिए ॥१२॥ १४५७ । ५८८ । ७ । मर्थ-ईशानकरूपमें चौदह सौ सत्तावन श्रेणीबद्ध हैं। तृतीय ( सानत्कुमार ) कल्पमें पाँचसो अठासी श्रेणीबद्ध और सात (७) इन्द्रक विमान हैं ।।१६२।। विशेषार्य-उपर्युक्त ३१ इन्द्रक विमानोंके केवल उतर दिशागत श्रेणीबद्ध विमान ही इस कल्पके आधीन हैं, अतएव यहाँके मुखका प्रमाण ६२, चय १ और गच्छ ३१ है । गा० १५० के सूत्रानुसार ईशानकल्पके श्रेणीबद्ध [( ६२४२+१)-(३१ x १)]x.1= १४५७ हैं । सानत्कुमारके श्रेणीबद्ध= [( ९३४२+३)- (७४३) ] x =५८८ हैं । माहिदे सेढिगया, छण्णउदो - जुद-सथं च बम्हम्मि । सट्ठी - जुद - ति - सयाई, सेढिगया इश्य - चउक्कं ॥१६॥ १९६ । ३६० । ४ । अर्थ-माहेन्द्रकल्पमें एक सौ छयानब श्रेणीबद्ध हैं । ब्रह्मकल्पमें तीन सौ साठ श्रेणीबद्ध प्रौर चार इन्द्रक विमान हैं ।।१६३।। माहेन्द्रके श्रेणीबद्ध = [ ( ३१४२+१)-(७४१) ] x = १९६ ब्रह्मकल्पके श्रेणी०= [ ( ९६ ४२+४)-- ( ४४४ ) Jxt=३६० छप्पण्णब्भहिय - सयं, सेढिगया इंश्या बुवे छ8 । महसुक्के बाहत्तरि, सेढिगया इंदनो एक्को ।।१६४।। १५६ । २ । ७२ । १ ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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