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तिलोयपण्णत्ती
बारह कल्प एवं कल्पातीत विमानोंके नाम
सोहम्मीसाण सणक्कुमार- माहिव बन्ह संतवया । महसुक्क सहस्सारा, प्राणद-वदय-कारणका ११० एवं बारस कप्पा, कम्पातीदेसु रगव य गेवेज्जा । हेट्टिम - हेडिम णामी, हेडिम-मज्भिल्ल हेद्विमोवरिमो ॥ १२१ ॥
महिम-णाम, मज्झिम-मज्झिम य मज्झिमोरिमो । उवरिम- हेडिम णामी, उवरिम-मज्झिम य उवरिमोषरिमो ॥१२२॥
अर्थ – सौधर्म, ईशान, सानत्कुमार माहेन्द्र, ब्रह्म, लान्तव, महाशुक्र, सहस्रार मानत, प्राणत, आरण और प्रच्युत, इसप्रकार ये बारह कल्प हैं । कल्पातीतों में अवस्तन - अधस्तन, अधस्तनमध्यम, अघस्तन- उपरिम, मध्यम प्रस्तन, मध्यम- मध्यम, मध्यम-उपरिम, उपरिम-अधस्तन, उपरिममध्यम और उपरिम- उपरिम, ये नौ ग्रैवेयक विमान हैं ।। १२०-१२२ ।।
आदित्य इन्द्रक श्र ेणीबद्ध और प्रकीर्णकों के नाम
प्राइच्च - इंदयस्स य, पुष्णाविसु लच्छि लछिमालिणिया । बहरो बहरोवणिया, घसारो वर
अण्ण दिसा विविसासु, सोमक्खं पsिहं पइण्णयाणि य, चत्तारो
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स्फटिक
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सोमलव अंकाई ।
तस्स णादव्वा ।। १२४ ।।
अर्थ - श्रादित्य ( ६२ वें ) इन्द्रक विमानकी पूर्वादिक दिशाभों में लक्ष्मी, लक्ष्मीमालिनी, वज्र और वैरोचिनी, ये चार उत्तम श्रेणीबद्ध विमान तथा अन्य दिशा - विदिशाओं में सोमार्य, सोमरूप, अंक और स्फटिक, ये चार उसके प्रकीर्णक विमान जानने चाहिए ।। १२३-१२४॥
सौमार्य
(आदित्य (विमान लक्ष्मी
सोम
[ गाथा : १२०-१२४
लक्ष्मी
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विमारिण ।।१२३ ॥