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४६६ ] तिलोसपण्णत्ती
[ गाथा : १०६ अर्थ-तथा सुप्रबुद्ध पटलसे लेकर सुविशाल पटल पर्यन्त शेष श्रेणीबद्ध, आदिके एक द्वीप और दो समुद्रोंके ऊपर स्थित हैं ।।१०।।
सुमारास सोमणसाए, पाइल्लय-एक्क-दीव-उहिम्मि ।
पीविकराए दिवं आइच्चे चरिम - दोवम्मि ॥१०६।। अर्य-सुमनस और सौमनस पटलके श्रेणीबद्ध विमान आदिके एक द्वीप तथा एक समुद्र के ऊपर स्थित हैं । इसीप्रकार दिध्य प्रीतिङ्कर पटलके भी श्रेणीबद्धोंका विन्यास समझना चाहिए। अन्तिम प्रादित्य पटलके श्रेणीबद्ध द्वीपके ऊपर स्थित हैं ।।१०६।।
विशेषार्थ :-ऋतु इन्द्रक सम्बन्धी ६२ श्रेणीबद्ध विमानोंका विन्यासस्वयम्भूरमण समुद्रके ऊपर-ऋतुप्रभसे सौमक पर्यन्त ३१ श्रेणीबद्ध विमान स्थित हैं। स्वयम्भूरमरणदीपके ऊपर--तिमिस्रासे सागर पर्यन्त १५ विमान । अहन्निवर समुद्रक ऊपर- उदिसते लोकशाला तक ८ विमान । अहीन्द्रवर द्वीपके ऊपर--सरयसे रोहितक पर्यन्त ४ विमान । देववर समुद्रके ऊपर-अमितभास मौर सिद्धान्त २ विमान । देववर द्वोपके ऊपर--कुण्डल नामक १ विमान और यक्षवर समुद्रके ऊपर-सौम्य नामक ( ६२ ) १ विमान है ।
विमल इन्द्रकसे मित्र इन्द्रक पर्यन्तके २९ इन्द्रक विमानोंसे सम्बन्धित सर्व श्रेणीबद्ध विमानोंका विन्यास क्रमशः यक्षवर द्वीप, भूतवर समुद्र, भूतवर द्वीप, नागवर समुद्र, नागवर द्वीप और वैडूर्यबर समुद्र, इन तीन द्वीपों और तीन समुद्रोंके ऊपर है।
प्रभ इन्द्रकसे सहस्रार इन्द्रक पर्यशके १६ इन्द्रक विमानोंसे सम्बन्धित सर्व श्रेणीबद्ध विमानोंका विन्यास क्रमशः वैडूर्यवर द्वीप, वज्रवर समुद्र, वज्रवर द्वीप, काञ्चनवर समुद्र और काञ्चनवर द्वीप, इन तीन द्वीपों और दो समुद्रोंके ऊपर है।
आनत इन्द्रकसे अमोघ इन्द्रक पर्यन्तके ८ इन्द्रक विमानोंसे सम्बन्धित सर्व श्रेणीबद्ध विमानोंका विन्यास क्रमशः रूप्यवर समुद्र, रूप्यवर द्वीप, हिंगुलबर-समुद्र और हिंगुलकर दीप, इन दो समुद्रों और दो द्वीपोंके ऊपर है ।
सुप्रबुद्ध इन्द्रकसे सुविशाल इन्द्रक पर्यन्त ४ इन्द्रक सम्बन्धित श्रेणीबद्ध विमानों का विन्यास क्रमशः अञ्जनवर समुद्र, अञ्जनवर द्वीप और श्यामवर समुद्र, इन दो समुद्रों और एक द्वीप पर हैं।
सुमनस और सौमनस इन २ इन्द्रक सम्बन्धी श्रेणीबद्ध विमानोंका विन्यास क्रमशः श्यामवर द्वीप और सिन्दूरवर समुद्रके ऊपर है।