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________________ [ ५४ ] विषय गाया/पृ० सं० | विषय गाथा/पृ० सं० पूर्व पश्चिम दिशा में अन्तराल का प्रमाण ६।२४५ नक्षत्र नगरियों की प्ररूपणा १०४।२६५ दक्षिण उत्तरविशा में अन्तराल का प्रमाण १२४६ तारा नगरियों की प्ररूपणा १०८।२६६ ३. ज्योतिष देवों की संख्या का निवेश ११२४६ ताराणों के भेव ब उनके विस्तार का इन्द्रस्वाप चन्द्रज्योतिषी देवों का प्रमाण १२०२४७ प्रमाण ११-१२६६ प्रतीन्द्र स्वरूप सूर्य ज्योतिषीदेवोंका प्रमाण १४१२४७ ताराओं का अन्तराल एवं अन्य वर्गन ११२।२६६ अढासी ग्रहों के नाम १२२४७ ५ परिमाण : पन्द्राधि देवों के नगरादि का सम्पूर्ण ग्रहों की संख्या का प्रमाण २३१२४९ प्रमाण ११४१२१९ एक-एक चन्द्र के नक्षत्रों का प्रमाण एवं लोकविभागानुसार ज्योतिषनगरों का उनके नाम २५॥२४९ गहल्य ११५५२६६ समस्त नक्षत्रों का प्रमाण २४२५. ६ संचार : पविमानों की संचार भूमि ११६२६९ एक चन्द्र सम्माधी ताराओं का प्रमाण ३११२५० चन्द्रगती के विस्तारादि का प्रमाण ११९५२७. ताशनों के नामों के उपदेश का अभाव ३२१२५१ सुमेरुपर्वत से घन की अभ्यन्तर चौथी का समस्त तागानों का प्रमाण ३३३२५१ अम्तर प्रमाण १२००२७० ४. विपास : पत्रमण्डलों की प्ररूपणा ३६२५१ चन्द्र की ध्र बराशि का प्रमाण १२२॥२७१ चन्द्रप्रासावों का वर्णन ५०१२५४ चन्द्र की सम्पूर्ण गलियों के अन्तराल चन्द्र के परिवार देव-देबियों का निरूपण ५७७२५५ का प्रमाण १२४॥२७१ चन्द्र विमान के बाइक देवों का आकार चन्द्र की प्रत्येक वीथी का पातराल एवं संख्या ६३१२५६ प्रमाण १२।२७२ सूर्य मण्डलों की प्ररूपणा ६।२५७ चन्द्र के प्रतिदिन गमम क्षेत्रका प्रमाण १२७४२७२ सूर्य के परिवार देव देवियों का निरूपण ७६।२५९ द्वितीयादि बीथियों में स्थित पन्द्रों का सूर्य विमान के वाहक कों का आकार एवं सुमेरुपर्वत से अन्तर १२८१२७३ उनकी संख्या ८०/२५० प्रथम वीषी में स्थित दोनों चन्द्रों का ग्रहों का अवस्थान ८२१२६१ पारस्परिक अन्तर १४३३२७६ बुध नगरों की प्ररूपणा चन्द्रों को अन्तराल ददि का प्रमाण १४३२७७ शुक्रग्रह के नगरों की प्ररूपणा ८९।२६२ प्रथम पथ में दोनों बाद्रों का पारस्परिक गुरुग्रह के नगरों की प्ररूपणा २२०२६३ अन्तर १४६१२७७ मंगल ग्रह के नगरो की प्ररूपणा १५२६३ चन्द्रपप की अभ्यन्तर वीथीको परिधि शनिग्रह के नमरों की प्ररूपणा Ru૨૬૪ प्रमाण १६१०२. अवशेष ८३ ग्रहों की प्ररूपणा १०१।२१४ परिधि के प्रक्षेप का प्रमाण १६२।२८१ ८३३२६१
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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