________________
४४० ]
तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : ६१८
६४ जगत्प्रतर प्रचयधन -प्रतरांगल x १ ला० x १ ला. संख्यात x ६४४ ६४ x ७ x ७
२८८ जगत्प्रतर [ प्रतरांगुल ४ १ ला० x १ ला० x सं० x ६४ x ६४ x ७xit
६४ जगत्प्रतर [प्रतरांगुल x १ ला० x १ ला० x संख्यात ४ ६४४६४ ४७४७ ]
३५२ जगत्प्रतर प्रादिधन+प्रचयधन [प्रतरांगल x १ ला. ४१ ला० x संख्यात x ६४४ ६४ ४७४७]
इस आदिधन और प्रचयधनकी सम्मिलित राशिमेंसे ऋणराशि घटाने को कहा गया है। जो इसप्रकार है
यहाँ ऋणराशिका संकलन करने हेतु आदि ६४ है, प्रचय २ है और गच्छ- जगच्छ्रेणीके अर्धच्छेदोंमेंसे साधिक जम्बूद्वीपके अच्छेद घटा देनेपर जो प्रवशेष रहे वह है ।
____६४ जगच्छ्रेणी तदनुसार इसका संकलन सूच्यंगुल संख्यात x ६४x७४ १ ला० ।। आदि एवं प्रचयधनको सम्मिलित राशिमेंसे घटाना है । यथा :
३५२ जगत्प्रतर प्रतसंगल X १ ला० x १ ला• x सं० x ६४ x ६४७ -
६४ जगच्छ्रेणी सूच्यं० x सख्यात ४ ६४ x ७ x १ ला.
३५२ जगत्प्रतर-६४ जगच्छुणी (सूच्य०४ संख्यात ४६४१७४१ ला० ) [प्रतरांगुल ४१ ला० ४ १ ला० संख्यात ४१६४७४७४६४४ ६४]
जगत्प्रतर...- या , ६५५३६ । ७ यह सर्व ज्योतिषी बिम्बोंका प्रमाण “प्रतरांगुल x ६५५३६४७ " प्राप्त हुआ।
एक ज्योतिषी बिम्बमें संख्यात जीव रहते हैं अतः उपर्युक्त प्राप्त हुए ज्योतिष-बिम्बोंके प्रमाणमें संख्यात (७) का गुणा करनेसे सर्व ज्योतिषी देवोंका प्रमाण प्राप्त होता है। यथा