________________
सत्तमो महाहियारो
[ ४०३
गाथा । ५६१-५६३ ]
(४:६१ ) ४२८-१३
= IOER = ४EEEEEP योजन अन्तराल ।
धातकीखण्ड द्वीपमें जगतीसे प्रथम वीथीका अन्तरालदुग-तिग-तिय-तिय-तिग्णि य, विच्चालं धावइम्मि वीवम्मि। णभ - छक्क - एक्क - अंसा, तेसोदि - सदेहि अवहरिया ।।५६१॥
३३३३२ 1981 अर्थ-धाताखण्ड द्वीन यह अन्तराल दी, तीन, तीन, तीन और तीन अर्थात् तैतीस हजार तीन सौ बत्तीस योजन भौर एक सौ तेरासीसे भाजित एक सौ साठ भाग प्रमाण है ॥५६१॥ विशेषार्थ-( १२:६१)-२८-"
(४०००० - १२
"-३३३३२१६४ योजन अन्तराल । कालोदश्चिमें जगतीसे प्रथम वौथीगत चन्द्रका अन्तरालसग-चउ-णह-णव-एक्का, अंक-कमे पण-ख-बोणि अंसा य । इमि-अटु-दु-एकक-हिवा, कालोदय - जगदि - विच्चालं ॥५६२॥
१६.४७ ।।२१। अर्थ-कालोदधिसमुद्रको जगती और ( प्रथम ) वीथीके मध्यका अन्तराल सात, चार, शून्य, नौ और एक इन अंकोंके क्रमसे उन्नीस हजार सैंतालीस योजन और बारह सौ इक्यासीसे भाजित दो सौ पांच भाग अधिक है ।।५६२।। विशेषार्थ -( ४२२६१)x२८-'
( pep.- 4"):४२
-- MEER= १९०४७११ योजन अन्तराल । पुष्करार्धद्वीपमें जगतीसे प्रथम वीथीगत चन्द्रका अन्तरालसुण्णं चउ-ठाणेक्का, अंक-कमे अट्ट-पंच-तिष्णि कला । णव - चउ - पंच - विहत्ता, विच्चालं पुषखरद्धम्मि ॥५६३॥
११११० । ३ ।