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________________ गाथा : ५५४-५५५ ] वर्ष संख्या प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष तृतीय वर्ष चतुर्थ वर्ष पञ्चम वर्ष विषप संख्या सत्तमो महाहियारो विषुप सम्बन्धी विशेष विवरण इसप्रकार है गत पर्व - संख्या 17 १ ला ६ पर्यं व्यतीत होनेपर कार्तिक कृष्ण वैशाख कृष्ण | २ रा १८ कार्तिक शुक्ल ३ रा ३१ वैशाख ४ था ४३ शुक्ल ५ वी ५५ कार्तिक शुक्ल वैशाब्द! कृष्ण ६ ठा ६८ ७ व ८० कार्तिक कृष्ण ८ व ९३ ९ १०५ १०व ११७ " " " = 11 ri " " 71 נ་ 37 " " 17 " " मास " पक्ष वैशाख शुक्ल कार्तिक शुक्ल वैशाख शुक्ल तिथि तृतीया नवमी पूणिमा षष्ठी द्वादशी दूतील नवमी · पूर्णिमा षष्ठी द्वादशी नक्षत्र रोहिणी के योग में धनिष्ठा स्वाति पुनर्वसु उ० भाद्र ०" अनुराधा मघा अश्विनी उ० बाढ़ा लक्षणसमुद्र से पुष्करा पर्यन्तके चन्द्र- बिम्बों का विवेचन चत्तारो लवण-जले, धावइ-दीयम्मि बारस मियंका । बादाल काल - सलिले, बाहत्तरि पोक्खरम्मि ।। ५५४ || पिय-जिय-ससीण श्रद्ध, दीव-समुद्दाण एक्क भागस्मि । अवरे भागं श्रद्ध, चरंति पंति कमेरगं च ॥ ५५५ ॥ 21 "D " 27 ور [ ४० १ " " उ० [फा०] " 12 " 37 17 17 " " ४ । १२ । ४२ । ७२ । - लवणसमुद्र में चार, धातकीखण्ड में बारह, कालोदसमुद्र में बयालीस और पुष्कराद्ध द्वीप में बहत्तर चन्द्र हैं ।। ५५४।। 12 अर्थ- द्वीप एवं समुद्रों के अपने-अपने चन्द्रों में से आधे एक भाग में और ( शेष ) आधे दूसरे भाग में पंक्तिक्रम सञ्चार करते हैं ।। ५५५ ।।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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