________________
[ ३९१
गाथा । ५२२-५२३ ]
सत्तमो महाहियारो विशेषार्थ--उत्कृष्ट नक्षत्र ६ हैं । प्रत्येकके नभखण्ड ३०१५ हैं । सूर्य इनके ऊपर है । सूर्य को जब १५० ग० ख० छोड़नेमें १ दिन लगता है तब ३०१५ नक्षत्र छोड़ने में कितना समय लगेगा? इसप्रकार रा० करनेपर ( 394 )-२० दिन ३ मुहर्त प्राप्त होते हैं। एक उत्कृष्ट न० को भोगनेमें २१ दिन लगते हैं तब ६ उत्कृष्ट नक्षत्रों को भोगने में कितना समय लगेगा ? इसप्रकार रा० करने पर ( २०१५) = १२० दिन १८ मुहूर्तका समय लगेगा।
सूर्यके साथ मध्यम नक्षत्रोंका भुक्तिकालअबसेता जाता, पारस यि सूर-सह-गया होति । बारस चेव मुहत्ता, तेरस य समे अहोरत्ते ॥५२२॥
दि १३ । मु १२ । अर्थ-शेष पन्द्रह ही मध्यम नक्षत्र तेरह अहोरात्र और बारह मुहूर्त काल तक सूर्यके साथ गमन करते रहते हैं ।। ५२२।।
विशेषार्थ-मध्यम न० १५ हैं और प्रत्येकके नभखण्ड २०१० हैं । सूर्य इनके ऊपर है । पूर्वोक्त प्रकार राशिक करनेपर प्रत्येक नक्षत्रका मुक्ति काल ( २ ) =१३ दिन १२ मु० प्राप्त होता है । एक मध्यम न० का भोग ३ दिनमें होता है तब १५ नक्षत्रोंका कितने दिनमें होगा? इसप्रकार दौरा० करनेपर ( 111)- २०१ दिन सर्व मध्यम नक्षत्रोंका भुक्ति काल है।
दक्षिण और उत्तरके भेदसे सूर्यके दो अयन होते हैं । प्रत्येक अयनमें सूर्य १८३-१८३ दिन भ्रमण करता है। इस भ्रमणमें सूर्य अभिजित् न० को ४ दिन ६ मुहूर्त, ६ जघन्य नक्षत्रों को ४० दिन ६ मुहूर्त, १५ मध्यम नक्षत्रोंको २०१ दिन और ६ उत्कृष्ट नक्षत्रों को १२० दिन १८ म० भोगता है । इन २८ नक्षत्रोंका सर्व-काल ( ४ दि० ६ मु०+४० दि० ६ मु. +२०१ दिन+ १२० दिन १८ मु०)=३६६ दिन होता है। इसीलिए दोनों अयनोंके {१८३४२)=३६६ दिन होते हैं।
चन्द्रके साथ अभिजित्का भुक्तिकालसप्तद्धि - गगणखंडे, मुहत्तमेक्केण कमइ जइ घंयो । भगणाण गगणखंडे, को कालो होदि गमणम्मि ॥५२३।।
६७ । १ । ६३० ।