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तिलोय पण्णत्ती
[ गाथा : ५२०-५२१
पर्थ - यदि सूर्य एक दिन में तीन सौ के आधे (१५०) नभखण्ड पीछे रहता है तो नक्षत्रोंके अपने-अपने गगनखण्डोंके गमनमें कितना काल लगेगा ? इसप्रकार अभिजित् नक्षत्र चार अहोरात्र और छह मूहूर्त काल तक सूर्यके साथ गमन करता है। शेष नक्षत्रोंका कथन यहाँसे आगे करता हूँ ।। ५१८-५१९ ।।
विशेषार्थ - अभिजित् नक्षत्र के ६३० नभखण्ड हैं। सूर्य अभिजित् नक्षत्रके ऊपर है । जब १५० नभखण्ड छोड़ने में सूर्यको एक दिन लगता है तब ६३० खण्ड छोड़ने में कितना समय लगेगा ? इस दौराशिकसे सूर्य द्वारा अभिजितकी भुक्तिका काल ('X' ) = ४ दिन ६ मुहूर्त प्राप्त होता है ।
सूर्यक साथ जघन्य नक्षत्रोंका भुक्तिकाल --
सदभिस भररणी अद्दा, सादी तह अस्सिलेस जेट्ठा य । छुच्चेव एक्कावीसा मुहत्तेणं ॥ ५२० ॥
होश्ते,
दि ६ । मु २१ ।
अर्थ - शतभिषक् भरणी. यार्द्रा, स्वाति, प्राश्लेषा और ज्येष्ठा ये छह नक्षत्र छह अहोरात्र और इक्कीस मुहूर्त तक सूर्य के साथ रहते हैं ||५२०॥
विशेषार्थ - जघन्य नक्षत्र ६ हैं और प्रत्येकके गगनखण्ड १००५ हैं । सूर्य इनके ऊपर है । जब १५० खण्ड छोड़ने में सूर्यको १ दिन लगता है तब १००५ गगनबण्ड छोड़ने में कितना समय लगेगा ? इसप्रकार राशिक करने पर ( 1 ) =६ दिन २१ मुहूतं प्राप्त होते हैं । एक ज० न० को भोगने में ६ दिन २१ मु० लगते हैं तब ६ नक्षत्रोंको भोगने में कितना समय लगेगा ? इस प्रकार शेरा करनेपर ( ६ दिन २१ मु० x ६ ) - ४० दिन ६ मु० होते हैं । अर्थात् सूर्यको ६ ज० नक्षत्रों को भोगने में कुल समय ४० दिन ६ मुहूर्त लगता है ।
सूर्यके साथ उत्कृष्ट नक्षत्रोंका भुक्तिकाल -
तिष्णेव उत्तराश्रो, पुणथ्वसू रोहिणी बिसाहा य ।
वोसं च अहोरत्ते तिष्णेय य होंति सूरस्स ॥५२१॥
दि २० । मु ३ |
अर्थ-तीनों उत्तरा, पुनर्वसु रोहिणी और विशाखा, ये छह उत्कृष्ट नक्षत्र बीस अहोरात्र और तीन मुहूर्त काल तक सूर्यके साथ गमन करते हैं ।। ५२१ ।।