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तिलोय पण्णत्ती
[ गाथा : ४८६-४८८
विशेषार्थ — चित्रा और रोहिणी नक्षत्र चन्द्रके सातवें पथमें भ्रमण करते हैं । इस पथ की परिधिका प्रमाण ३१६४७१४ योजन है । इसमें प्रत्येकका एक मुहूर्त का गमन क्षेत्र (१०) =५२८८३॥ योजन प्राप्त होता है ।
विशाखा नक्षत्रका एक मुहूर्त का गमन-क्षेत्र -
३८० ]
यावरण-सया बाणउदि जोयरणा बच्चदे विसाहा य । सोलस - सहस्स-णय-सय सगदाल कला मुहुत्तेणं ॥। ४८६ ॥
५२९२ । ३३६
अर्थ-विशाखा नक्षत्र एक मुहूर्तमें पाँच हजार दो सौ बानवे योजन और सोलह हजार नौ सौ सैंतालीस कला अधिक गमन करता है ||४५६ ||
विशेषार्थ - विशाखा नक्षत्र चन्द्रके आठवें पथ में भ्रमण करता है । इस पथकी परिधिका प्रमाण ३१६७०११३७ योजन है । इस परिधि में विशाखा एक मुहूर्तके गमन क्षेत्रका प्रमाण ( ११६५५६७ ) =५२६२३ोजन प्राप्त होता है ।
अनुराधा नक्षत्रका एक मुहूर्तका गमन क्षेत्र-तेवण्ण-सयाणि जोयणाणि वच्चदि मुहुतमेत्तानि ।
चडवण्ण चउ-सया बस- सहस्स श्रंसा य अणुराहा ||४६७।।
५३०० | २९४ ४
अर्थ - अनुराधा नक्षत्र एक मुहूर्त में पाँच हजार तीन सौ योजन और दस हजार चार सौ चौवन भाग अधिक गमन करता है ||४८७ ।।
विशेषार्थ - प्रनुराधा नक्षत्र चन्द्र के दसवें पथ में भ्रमरण करता है । इस पथकी परिधिका प्रमाण ३१७१६२४७ योजन है । इस परिधि में अनुराधा के एक मुहूर्तके गमन-क्षेत्रका प्रमाण (३१७०६०) ५३०००० योजन प्राप्त होता है ।
ज्येष्ठा नक्षत्रका एक मुहूर्त का गमन-क्षेत्र -
तेवण्ण-सयाणि जोयणाणि घसारि वच्चदि जेट्टा |
अंसा सत्तसहस्सा, खडयोस जुबा मुहुत्तेणं ॥ ४८८ ||
५३०४ । १५० ।
अर्थ - ज्येष्ठा नक्षत्र एक मुहूर्त में पाँच हजार तीन सौ चारयोजन और सात हजार चौबीस भाग अधिक गमन करता है ||४८८||