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गाथा ! ४४३-४४४ ! अत्तमो पहाहियारो
[ ३६५ शुभनगरमें एक नालो ( २४ मिनिट ) से अधिक दिन रहता है । इसके अतिरिक्त रत्नसंचयपुरमें उस समय कुछ कम एक नाली के तीसरे भाग ( करीब ७ मिनिट) प्रमाण रात्रि हो जाती है।
इसका चित्रण इसप्रकार है
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भानराला
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से निमम पर जल भरतनमा
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प्रथम-पथमें स्थित सूर्यके ऐरावत क्षेत्रमें उदित होनेपर अवध्या प्रादि सोलह
___नगरियोंमें रात्रि-दिनका विभागएरावदम्मि उदो, जं काले होदि कमलबंधुस्स ।
ताहे विण - रत्तीभो, अवर - विवेहेसु साहेमि ॥४४३॥
अर्थ-जिस समय ऐरावत क्षेत्रमें सूर्यका उदय होता है उस समय अपर (पश्चिम) विदेहोंमें होनेवाले दिन-रात्रि-विभागोंका कथन करता हूँ ॥४४३॥
खेमादि-सुरवर्णते, हवंति जे पुठव-रशि-अवरण्हं ।
कमसो ते णादब्बा, अस्सपुरी-पहुदि णयय-ठाणेसु ॥४४४॥
प्रर्थ-क्षेमा प्रादि नगरीसे देवारण्य पर्यन्त जो पूर्व-रात्रि एवं अपराह्न काल होते हैं, वे ही क्रमशः अश्वपुरी आदिक नौ स्थानोंमें भी जानने चाहिए ॥४४४।।