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तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : ४३९-४४२ विशेषार्थ-जिस समय सूर्य भरतक्षेत्रमें उदित होता है उसी समय खड्गपुरोमें सूर्यास्त हो जाता है और मंजूषपुरमें एक घड़ीसे कुछ अधिक अपराह्न ( कुछ अधिक २४ मिनिट दिन) तथा औषधिपुरमें कुछ अधिक एक मुहूर्त अपराह्न { ४८ मिनिटसे कुछ अधिक दिन) रहता है।
ताहे मुहुचमधियं, अवरहं पुंडरिंगिणी - णयरे ।
सप्पणिधो सुररपणे', दोषिण मुहुत्ताणि अदिरेगो ॥४३६॥ अर्थ-उसी समय पुण्डरीकिणी नगरमें वह अपराह्न एक मुहूर्तसे अधिक और इसके समीप देवारण्यवनमें दो मुहूर्तसे अधिक होता है ।।४३६।।
विशेषार्थ-उसी समय पुण्डरीकिणी नगरीमें एक मुहूर्त ( ४८ मिनिट ) से अधिक और देवारण्ययनमें दो मुहूर्त ( १ घंटा, ३६ मिनिट ) से अधिक दिन रहता है।
तक्कालम्मि सुसोम-प्पणधीए सुरवणम्मि पढम-पहे । होवि अपरण्ह - कालो, तिष्णि मुत्ताणि अदिरेगो ॥४४०॥ तिय-तिय मुहुत्तमहिया, सुसीम-कुंडलपुरम्मि दो दो य । एक्केक्क-साहियाणं, अवराजिद - पहंकरंक - पउमपुरे ॥४४१।। सुभ-णयरे अवरोह, साहिय-णालीए होदि परिमाणं ।
णालि-ति-भामं रत्तो, किचूर्ण रयणसंचय - पुरम्मि ॥४४२॥ पर्थ-उसी समय प्रथम पथमें सुसीमा नगरीके समीप देवारण्यमें तीन मुहूर्तसे अधिक अपराहु काल रहता है । सुसीमा एवं कृण्डलपुरमें तीन-तीन मुहूर्तसे अधिक, अपराजित एवं प्रभंकरपुरमें दो-दो मुहूर्त से अधिक, अङ्कपुर तथा पद्मपुरमें एक-एक मुहूर्तसे अधिक और शुभनगरमें एक नालीसे अधिक अपराह्नकाल होता है । तथा रत्नसंचयपुरमें उस समय कुछ कम नालीके तीसरे-भागप्रमाण रात्रि होती है ।।४४०-४४२॥
विशेषाय-उसी समय सीतामहानदीके दक्षिण तट स्थित सुसीमा नगरीके समीप देवारण्य बन में तीन मुहूर्त ( २ घंटे २४ मिनिट ) से कुछ अधिक दिन रहता है । सुसीमा और कुण्डलपुरमें तीन-तीन मुहूर्त (२ घण्टा २४ मि०) से अधिक, अपराजित और प्रभङ्करपुरमें दो-दो मुहूर्त ( १ घंटा ३६ मिनिट ) से अधिक, अङ्कपुर और पद्मपुर में एक-एक महूत ( ४८-४८ मिनिट ) से अधिक तथा
१. द सुरचरणे दोण्णि य। २. द. ब. मबिया ।