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________________ सत्तम महाहियारो गव-घउ-छ- पंच-तिया, अंक-कमे सत्त छक्क सत्तंसा | अटु-दु-पव- बुग भजिदा, लेमाए मज्झ पणिधि-तमं ॥ ३८२॥ गाथा : ३८२-३६५ ] ३५६४६ । ४ । ७६७ ३६२८ अर्थ-क्षेमा नगरीके मध्य प्रणिधि भाग में तम क्षेत्र नौ बार छह पांच और तीन इन अंकों क्रमसे पैंतीस हजार छह सौ उनंचास योजन और दो हजार नौ सौ अट्ठाईससे भाजित सात सौ सड़सठ भाग प्रमाण रहता है ।। ३८२ ।। ( क्षेमा नगरीकी परिधि = १७७७६०३ - १४२३७८५ X ३५६४९६ योजन तम क्षेत्र है । भ - णव णभणवय-तिया, अंक-कमे णव चउवक सग-दु-कला 1 णभ-च-छ-चउ एक्क-हिदा, खेमपुरी परिधि तम खेत्तं ॥ ३८३ ॥ ३६०६० | २४ अर्थ - क्षेमपुरी के प्रणिविभाग में तम क्षेत्र शून्य, नौ, शून्य, नी और तीन इन अंकों के क्रमसे उनतालीस हजार नब्बे योजन और चौदह हजार छह सौ चालीससे भाजित दो हजार सात सौ उनंचास कला प्रमाण रहता है ।। ३८३ || ( क्षेमपुरीकी परिधि १९४९१८६ = ३९०९०६०४४० योजन तम क्षेत्रका प्रमाण है । १४ ) X (अरिष्टाकी परिधि २०१७०४३ १९७५) योजन तम क्षेत्रका प्रमाण है 1 369 = - पंच-पण-गण-दुग-चड, अंक-कमे पण चक्क - प्रड-छक्का । शंसा तिमिरवखेत्ते मज्झिम पणिधीए रिट्ठाए ||३८४|| [ ३४७ 1= १०४३८१०३६ राष्ट TO Te38 ४२०५५ । १४६४ । अर्थ-अरिष्टा नगरीके मध्यम प्रणिधिभाग में तिमिर क्षेत्र पाँच, पाँच, शून्य, दो और चार, इन अंकों के क्रमसे बयालीस हजार पचपन योजन और छह हजार ग्राऊ सौ पैंतालीस भाग अधिक रहता है ||३८४|| "शश्य - ५७३३८० ४२०५४३६ छण्णव - चउक पण चउ, अंक-कमे णवय पंच सग पंचा। सा मज्झिम- पणिही तम खेत्तमरिट्ठ जयरीए ॥ ३८५ ॥ ४५४९६ ।। ५७५० अर्थ - अरिष्टपुरीके मध्यम प्रणिधिभाग में तम क्षेत्र छह, नौ, चार, पाँच और चार इन अंकों क्रमसे पैंतालीस हजार चार सौ छयानबे योजन और पांच हजार सात सौ उनसठ भाग अधिक रहता है ||३८||
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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