________________
३२० ]
माथा : ३१७-३२. ] सत्तमो महाहियारो
[ ३२५ चउ-तिय-णवसग-छक्का, अंक-फमे जोयणाणि अंसा प । णव-चउ-चउक्क दुगया, रिद्वपुरी-पणिधि-ताब-खिदी ।।३१७।।
६७६३४ । । अर्थ-अरिष्टपुरोके परिणविभागमें ताप-क्षेत्रका प्रमाण चार, तीन, नौ, सात और छह इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् सड़सठ हजार नौ सौ चौंतीस योजन और दो हजार चार सौ उनचास भाग अधिक है ।।३१७॥
(अरिष्टपुरीको परिधि - २२६८६२६ = xeku ) x 1 = ExeECE =६७९३४। यो तापक्षेत्र ।
दुग-छपक-ति-ग-सत्ता, अंक-कमे जोयणाणि घसा य । पंच-बु-चउक्क-एक्का, खरगपुरं परिणधि-ताव-खिदो ॥३१८।।
मर्य-खड़गपुरीके प्रणिधिभागमें ताप-क्षेत्रका प्रमाण दो, छह, तीन, दो और सात इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् बहत्तर हजार तीन सौ बासठ योजन और एक हजार चार सौ पच्चीस भाग अधिक होता है ।।३१॥
(खड़गपुरीकी परिधि २४१६४८१ = १४३३१८५) x y = ५ -७२३६२११३७ यो० ताप-क्षेत्र।
णभ-गयण-पंच-सत्ता, सत्तंक-कमेण जोयणा अंसा । णव-तिय-दुगेक्कमेसा, मंजुसपुर-पणिधि-ताब-खिदी ॥३१६।।
७७५०० । । मर्थ-मंजूषपुरके प्रणिधिभागमें ताप-क्षेत्रका प्रमाण शून्य, शून्य, पांच, सास और सात, इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् सतत्तर हजार पांच सौ योजन और एक हजार दो सौ उनतालीस भाग प्रमाण होता है ।।३१९।।
( मंजूषपुरकी परिधि – २५८८०५६ - Ritaxxs ) x = २८ - ७७५०० यो ताप-क्षेत्रका प्रमाण ।
प्रष्टु-दु-णवेषक-अट्ठा, अंक-कमे जोयणाणि मंसा य । पंचेश्क-बुग-पमारणा, ओसहिपुर-पणिधि-ताव-खिवी ॥३२०॥
८१९२८ । -१५ ।