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________________ [ ३७ } (Api ) ( Api-१ ) { ९००० करोड़ योजन } वगं योजन होगा, जहाँ Apj जघन्य परीतासंख्यात है, log२ अर्द्धच्छेदका आधुनिक प्रतीक है । पिछली ( २४३ ) वीं गाथामें n वें वलयाकार क्षेत्र का क्षेत्रफल ३. (D, ) [ २ ] [ २-1.--१ ] बतलाया गया है जो ९ १०००००/- 1 २' ] { २१-१] के बराबर है। यदि 1-logR Apj+१ हो तो -१=oge Apj होगा, इसलिए २"-'-Api हो जायेगा । इसप्रकार ग्रंथकार ने यहाँ छेदा गणित का उपयोग किया है। उन्होंने १६ संदृष्टि जघन्यपरीतासंख्यात के लिए और १५ संदृष्टि एक कम जघन्य परीतासंख्यात के लिये ली है । इसीप्रकार { Log: (पल्योपम)+१ } द्वीपका क्षेत्रफल (पल्योपम) (पल्योपम-१)xex (१०) वर्ग योजन होता है। पागे स्वयंभूरमग समुद्र का क्षेत्रफल निकालने के लिये २४३ या २४४वीं गाया में दिये गये सूत्र २८ { बादर क्षेत्रफल = D. (३)२ (0,--D,)} का उपयोग किया है। इस समुद्र का विष्कम्भ D. = जगश्रेणी +७५००० योजन है, इसलिये, बादर क्षेत्रफल[२८ जगश्रेणी+६७५००० योजन ] [गर्भणी- ७५००० योजन–१००००० योजन ] -atr (अगश्रेणी)+[ ११२५०० वर्गयोजन- १ राजु ] -[ १६८७५०००००० वर्ग योजन ] वर्ग योजन गापा ५/२४५ मानलो इष्ट द्वीप मा समुद्र तवा है; उसका विस्तार DD है तथा प्रादि सूची का प्रमाण Daa है। सब, शेष वृद्धि का प्रमाण-२ Dn-( DR+D) होता है । ३ इसे सापित करने पर, ...२ DA-- Dna
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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