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________________ गाथा : १९३-१९६ ] सप्तमो महाहियारो [ २८६ पण-संख-सहस्साणि, णवणउदी जोयषा दुवे कोसा । · लवं मुहत्त - गमणं, प्रहम - मग्गे 'हिमरुचिस्स ॥१९॥ ५. १९ । क २ प्रयं-आठवें पथमें चन्द्रका मुहूर्त गमन पाँच हजार निन्यानवं योजन और दो कोस प्रमाण प्राप्त होता है ।।१९३॥ विशेषार्थ-पाठवें पथमें चन्द्र एक मुहूर्त में [ ३१६७०११५ 33874] ५०६६ योजन, २ कोस, २०९ धनुष, २ हाय और कुछ कम ९ अंगुल गमन करता है। पंचेव सहस्साणि, ति उत्तरं जोयणाणि एक्क-सयं । लद्धमुहुत्त - गमणं, णवम - पहे तुहिणरासिस्स ॥१६४।। अर्थ-नौवें पधमें चन्द्रका मुहूर्त-गमन पांच हजार एक सौ तीन योजन प्रमाण प्राप्त होता है ।।१९४।। विशेषापं-नौवें पथमें चन्द्र एक मुहूर्त ( ४८ मिनिट ) में [ ३१६९३११३५ १६१] ५१०३ योजन, • कोस, १८८० धनुष, १ हाथ और कुछ अधिक १६ अंगुल गमन करता है । पंच-सहस्सा छाहियमेक्क-सयं जोयणा ति-कोसा य । लद्ध मुहुत्त - गमणं, बसम - पहे हिममयूखाणं ॥१६५।। ५१०६ । को ३। अर्थ-दसवें पथमें चन्द्रोंका मुहूर्त-गमन पांच हजार एक सौ छह योजन और तोन कोस प्रमाण पाया जाता है ॥१९५।। विशेषार्थ - दसवें पथमें चन्द्र एक मुहूर्त में [ ३१७१६२५६० + २५१५] ५१०६ योजन, ३ कोस, १५५१ धनुष और कुछ कम १ हाथ गमन करता है । पंच-सहस्सा वस-जुव-एक्क-सया जोयणा बुवे कोसा। लद्ध मुहस - ममणं, एक्करस - पहे ससंकस्स ॥१६॥ ५११० । को २। प्रर्य-ग्यारहवें पथमें चन्द्रका मुहूर्त-गमन पाँच हजार एक सौ दस योजन और दो कोस प्रमारण प्राप्त होता है ।।१९६॥ १.प.हिमरविस्स, ब. हिमरसिसि ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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