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माथा । १६६-१८५८ ]
पंचमी महाहियारो
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विशेषार्थ - ६२६३ मुहूर्तों को समच्छेद विधानसे मिलाने पर अर्थात् भिन्न तोड़नेपर '३३३" मुहूतं होते हैं । इसका चन्द्रको प्रथम वीथीकी परिधिके प्रमाण में भाग देनेपर
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( 399946 : 13674 ) = ५०७३६९७५ योजन अर्थात् २०२९४२५६४६४६ मील प्राप्त
होते हैं ।
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चन्द्रका यह गमन क्षेत्र एक मुहूर्त अर्थात् ४५ मिनिट का है ! इसो गमन क्षेत्र में ४५ का भाग देने से चन्द्र का एक मिनिट का गमन क्षेत्र (२०२९४२५६९ - ४८) - ४२२७९७६ मील होता है । अर्थात् प्रथम मार्ग में स्थित चन्द्र एक मिनिट में ४२२७९७१ मील गमन करता है । पंच सहस्सं अहिया, तेहत्तरि-जोयणाणि तिय-कोसा ।
लद्ध" मुहुत्त गमणं, पढम पहे सोदरिणस्स ||१८६॥
५०७३ । को ३ ।
अर्थ - प्रथम पथमें चन्द्रके एक मुहूर्त ( ४८ मिनिट ) के गमन क्षेत्रका प्रमाण पाँच हजार तिहत्तर योजन और तीन कोस प्राप्त होता है !!
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विशेषार्थ-चन्द्रका प्रथम वीथीका गमनक्षेत्र गाथामें जो ५०७३ यो० और ३ कोस कहा गया है । वह स्थूलता से कहा है । यथार्थ में इसका प्रमाण [ 21066 ] ५०७३ योजन, २ कोस, ५१३ धनुष, ३ हाथ और कुछ अधिक ५ अंगुल है ।
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सत्तत्तरि सविसेसा, पंच सहस्सारिण जोयणा कोसा ।
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लख मुहुत्त गमणं, चंबल्स दुइज्ज वीहीए ।।१८७।। ५०७७ १ को १ ।
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अर्थ - द्वितीय वीथी में चन्द्रका मुहूर्त काल-परिमित गमनक्षेत्र पाँच हजार सतत्तर (५०७७ ) योजन और एक कोस प्राप्त होता है ।। १६७॥
१. ६. ज. अद्ध
विशेषार्थ - द्वितीय वीथी में चन्द्रका एक मुहूर्त का गमनक्षेत्र [ ३१५३१९१३३३३५ ] ५०७७ योजन, १ कोस, १८४ धनुष, २ हाथ और कुछ कम १३ अंगुल प्रमाण हैं ।
जोयण-पंच सहस्सा, सोदी- जुत्ता य तिणि कोलाणि ।
लद्ध मुहुत्त गमणं, चंदस्स तहज्ज बोहोए ।। १६८ ।।
५०८० | को ३ ।
- तृतीय वीथी में चन्द्रका मुहूर्त-परिमित गमनक्षेत्र पाँच हजार अस्सी (५०८० ) योजन और तीन कोस प्रमाण प्राप्त होता है ||१८८||
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