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गाथा : १७०-१७३ ]
पंचमो महाहियारो
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पर्थ - छठे पथमें वह परिधि तीन लाख सोलह हजार दो सौ चालीस योजन और दो सौ अठासी भाग प्रमाण है ।। १६९ ।।
३१६०१०१३६ + २३०१३
३१६२४०१ यो० ।
सोलस- सहस्स चउ सय, एक्कत्तरि-हिय जोयरण ति लक्खा । चत्तारि कला सप्तम पहम्मि परिही मयंकस्स ॥ १७० ॥
३१६४७१ | ४३० ।
धर्म –चन्द्र के सातवें पथ में वह परिधि तीन लाख सोलह हजार चार सौ इकहत्तर योजन और चार कला अधिक है || १७० ॥
३१६२४०३६६+२३०१७ - ३१६४७१४३ यो० ।
सोलस - सहस्स सग-सय, एक्कम्भहिया य जोयण-ति- लक्खा । वनं लगता, भागा श्रम पहे परिही ।। १७१३
M
३१६७०१ | ३७
श्रथ - नाठवें पथमें उस परिधिका प्रमाण तीन लाख सोलह हजार सात सौ एक योजन और एक सौ सैंतालीस भाग अधिक है ।। १७१ ॥
३१६४७१४३+२३०१३३३१६७०१४३७ यो० ।
सोलस - सहस्स - जव-सय-एक्कत्तोसादिरित-तिय-लक्खा ।
उबी- जुव-दु-सय- कला, ससिस्स परिही णवम - मग्गे ॥ १७२ ॥
३१६९३१ | ु ।
अर्थ - चन्द्रके नौवें मार्ग में वह परिधि तीन लाख सोलह हजार नौ सौ इकतीस योजन और दो सौ नब्बे कला प्रमाण है ।। १७२ ।।
३१६७० ११३७ + २३०४३२ = ३१६९३१ यो० ।
बासट्टि - जुप्त - इगि-सय-' सत्त रस - सहस्स जोयरण ति लक्खा ।
छ aिय कलाओ परिही, हिमंसुणो वसम बोहोए ॥ १७३ ॥
३१७१६२ । १७ ।
१. ब. क. द. सत्तर
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