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________________ गाथा १३६पंचमो महाहियारो [ २७५ पणवाल-सहस्सा सय, सत्तत्तालं कलाण तिणि सया। तीस - जुदा बसम-पहे, विच्चं हिमकिरण - मेरूणं ॥१३६।। ४५१४७ । ३३ । अर्थ-दसवें पथमें स्थित चन्द्र और मेरुका अन्तराल पैंतालीस हजार एक सौ संतालोस योजन और तीन सौ तीस कला ( ४५१४७३१० यो० ) प्रमाण है ।।१३६॥ ४५१११:23 + ३६३६-४५१४७१३४ यो० । पणदाल-सहस्साणि, चुलसीदो जोयमाणि एक्क-सपं । बासीदि-कला विच्चं, एक्करस - पहम्मि एदारणं ॥१३७॥ ४५१८४ । १७ । प्रर्ष-ग्यारहवें पथमें इन दोनोंका अन्तर पैंतालीस हजार एक सौ चौरासी योजन मौर बयासी कला ( ४५१८४१२२ यो०) प्रमाण है ॥१३७।। ४५१४७१३४+३६१४५१८४४७ यो । पणदाल-सहस्साणि, वीसुत्तर-दो-सयाणि जोयगया। इगिसद्वि-पु-सय-भागा, बारसम - पहम्मि तं विच्चं ॥१३॥ ४५२२० । १३१ अर्थ - बारहवें पथमें वह अन्तराल पंतालीस हजार दो सौ बीरा योजन और दो सौ इकसठ भाग (४५२२०२१७ यो०) प्रमाण है ।।१३८।। ४५१८४४३+३६ -- ४५२२०३३७ यो । पणदाल-सहस्साणि, दोगिण सया जोयरपाणि सगवण्णा । तेरस • कलाओ तेरस - पहम्मि एदाण विच्चालं ॥१३६।। ४५२५७ । । प्रयं-तेरहवें पथमें इन दोनोंका अन्तराल पंतालीस हजार दो सौ सत्तावन योजन और तेरह कला ( ४५२५७१ यो० ) प्रमाण है ।।१३९॥ ४५२२०१३+३६१ -४५२५७६५० यो० । पणदाल-सहस्सा बे, सयाणि ते-उदि जोयणा अहिया। अट्ठोरण-दु-सय-भागा, चोद्दसम - पहम्मि तं विच्चं ॥१४०।। ४५२९३ । ११२३ अर्थ- चौदहवें पथमें वह अन्तराल पैंतालीस हजार दो सौ तेरानबे योजन और आठ कम दो सौ भाग अधिक अर्थात् ( ४५२९३१६३ यो० ) है ।। ४५२५७१३+३६४१-४५२६३३६ यो ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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