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________________ v W ४. ग्रह شد चन्द्र सूर्य बुध शुक्र ५. गुरु मंगल शनि चित्रा पृ० से ऊंचाई | विस्तार ( मोटाई) योजनों मीलों में योजना में मीलों में चन्द्रादि ग्रहोंके अवस्थान, विस्तार, बाहुल्य एवं वाह्न देवोंका प्रमाण बाहुल्य (गहराई ) योजनों म ८६१ ३५६४००० १ कोस १००० मी. ३ को ० कुछ कम ८९४ ३५७६०००१ कोस ९०० | ३५२००००१६ यो० ३६७२६६ १६ यो० १८३६६ ४००० ४०००+ ८८० ८०० ३२००००० यो० ३१४७३३ २६ यो० | १५७३ | ४०००+ ४००० + | ४००० + ४००० = १६००० ८८८३५५२०००२ को ० ५०० मी० १ को ० ८९७ ३५८८००० को ० ५०० मी० को ० ८६४ नक्षत्र उ० तारा ९. म० तारा ७९० ज० तारा ५०० कुछ कम कुछ कम कुछ कम १००० मी. २ को ० ५०० ३६००००० ३ को० ५०० मी० को ० मीलों में ३५३६००० १ कोस | १००० मी० २००० १००० मी० १६०००० धनुष १५४०० मी० } ५०० घ. २५० मी० २५० २५० २५० वाहन देवोंका आकार और प्रमाण पूर्व दिशा में दक्षिण में | पश्चिम में उत्तर में सिंह हाथी बैल घोड़ ५०० योग ४००० + ४००० १६००० २०००+ २०००+ २००० + २००० = ८००० २०००+ २०००+ २०००+ २०००= ८००० २०००+ ०००+ २००० + २०००= २०००+ ०००+ २०००+ २०००= ८००० ८००० २०००+ १०००+ २०००+ २०००= ८००० १०००+ १०००+ १०००+ १००० ४००० ५००+ ५००+ ५००+ ५०० २००० २६८ ] तिलोयपण्णत्ती [ गाथा : ११३
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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