SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 331
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा : ९३-९७ ] पंचमो महाहियारो [ २६३ अर्थ–जनको परिधि पृथक्-पृथक् तीन कोससे कुछ अधिक है। इन नगरोंका शेष सब वर्णन बुध नगरोंके सदृश है ।।९२॥ गुरु-ग्रहके नगरोंकी प्ररूपणाचित्तोवरिम-तलावो, छयकोणिय-णव-सएण जोयणए। . गंतूण हे उरि, चेति गुरूण गयराणि ।।३।। । ८९४ । अर्थ-चित्रा पृथिवीके उपरिम तलसे छह कम नौ सौ ( ८९४ ) योजन ऊपर जाकर भाकाशमें गुरु ( बृहस्पति ) ग्रहोंके नगर स्थित हैं ।।९३।। ताणि 'जयर-सलारिंग, फलिह-मयाणि सुमंव-किरणाणि । उत्ताण - गोलकद्धोवमाणि णिच्चं सहावाणि ॥१४॥ मर्थ-स्फटिकमरिणसे निर्मित, उन गुरु-ग्रहोंके नगर-तल सुन्दर मन्द किरणोंसे संयुक्त, ऊर्ध्वमुख स्थित गोलका के सदृश और नित्य-स्वभाव वाले हैं ।।१४।। उरिम-तल-विषखंभा तागं कांसस्य पारम-भागा या सेसाओ वण्णणामो, सुक्क • पुराणं सरिच्छामो ॥६५॥ अर्थ-उनके उपरिम तलका विस्तार कोस के बहुभाग अर्थात् कुछ कम एक कोस प्रमाण है । उनका मोष वर्णन शुक्रपुरों के सदृश है ॥९५।। मंगल ग्रहके नगरोंकी प्ररूपरणाचित्तोवरिम तलावो, तिय-णिय-व-सयाणि जोयणए । गंतूरण उरि गयणे, मंगल - रपयराणि चेति ॥६॥ | ८९७ । प्रयं-चित्रा पृथिवीके उपरिम तलसे तीन कम नौ सौ ( ८९७ ) योजन ऊपर जाकर आकाशमें मङ्गलनगर स्थित हैं ।।९६।। ताणि णयर-तलाणि, हिरारुण-पउमराय-महयाणि । उत्ताण-गोलकद्धोक्माणि सव्वाणि मंब-किरणाणि ॥७॥ अर्म-वे सब नगर-तल रुधिर सदृश लाल वर्णवाले पद्मराग-मणियोंसे निर्मित, कर्ध्वमुख स्थित गोलकार्घ सदृश और मन्द-किरणोंसे संयुक्त होते हैं ।।१७।। १. म. णयरि ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy