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तिलोयपपत्ती
[ गाथा : ७१-७५ अर्थ-एक-एक इन्द्रके तनुरक्षकोंका प्रमाण सोलह हजार ( १६००० ) और तीनों पारिषद देवोंका प्रमाण क्रमशः आठ हजार (८०००), दस हजार ( १००००) तथा बारह हजार ( १२००० ) है ।।७०।।
सप्त अनीक सेनामोंके नाम एवं प्रमाणकरि-हय-पाइक्क तहा, गंधवा गट्टा रहा बसहा ।
इय सत्तापीयाणि, पत्तेक होति इदाणं ॥७१।।
मर्थ-हाथी, घोड़ा, पदाति, गन्धर्व, नर्तक, रथ और बैल, इसप्रकार प्रत्येक इन्द्रके ये सात-सात सेनाएं होती हैं ।।७१।।
कुजर-तुरयावीणं पुह पह चेति सत्त कक्खायो । तेसु पढमा कक्खा, अट्ठावीस सहस्साणि ॥७२॥
- २८०००। अर्थ-हाथी और घोड़े श्रादिको पृथक्-पृथक् सात कक्षाएँ स्थित हैं । इनमेंसे प्रथम कक्षाका प्रमाण अट्ठाईस हजार ( २८००० ) है ।।७२।।
बिदियावीणं दुगुणा, बुगुणा ते होंति कुजर-प्पहुदी ।
एदाणं मिलिदाणं परिमाणाई परूवेमो ॥७३॥ अर्थ-द्वितीयादिक कक्षात्रोंमें वे हाथी मादि दूने-दूने हैं । इनका सम्मिलित प्रमाण कहता हूँ ।।७३||
पंचवीसं लक्खा, छप्पण्ण-सहस्स-संजुवा ताणं । एक्केवकस्सि इवे, हत्थीणं होति परिमाणं ॥७४॥
३५५६००० । अर्थ-उनमेंसे प्रत्येक इन्द्रके हाथियोंका { हाथी, घोड़ा, पदाति आदि सातों सेनाओंका पृथक-पृथक् ) प्रमाण पैतीस लाख और छप्पन हजार ( ३५५६००० ) है ।७४॥
बाणउदि-सहस्साणि, लक्खा अडवाल बेण्णि कोडीयो। इंसाणं पत्तेक्क, सत्ताणीयाण परिमाणं ।।७।।
२४८९२००० 1 अर्थ-प्रत्येक इन्द्रकी सात अनीकोंका प्रमाण दो करोड़ अड़तालीस लाख बानदै हजार ( ३५५६००० ४७-२४८९२००० ) है ।।७।।