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________________ गाथा : ४५-४६ ] पंचमो महाहियारो रक्खस-इंदा भीमो, 'महभीमो ताण होंति देवीओ। पउमा - वसुमित्ताओ, 'रयरगड्ढा - कंचणपहाओ ॥४५॥ रक्खसा गदा । अर्थ -भीम, महाभीम, विघ्न-विनायक, उदक, राक्षस, राक्षस राक्षस और साता नम्राक्षस, इसप्रकार ये सात भेद राक्षस देवों के हैं । इन राक्षसोंके भीम तथा महाभीम नामक इन्द्र और इन इन्द्रोंके पद्या, वसुमित्रा, रत्नाढया तथा कञ्चनप्रभा नामक ( दो-दो ) दवियाँ हैं ॥४४-४५।। राक्षसोंका कथन समाप्त हुआ। भूतदेवोंके भेद आदिभूदा इमे सुरूवा, पडिरूवा भूदउत्तमा होति । पडिभूद - महाभूवा, पडिछण्णाकासभूद ति ।।४६।। भूविका य सरूवो, पडिरूवो ताण होंति देवीप्रो । रूववदी बहुरूवा, सुमुहो णामा सुसोमा ५ ॥४७।। भूवा गवा । अर्थ-स्वरूप, प्रतिरूप, भूतोत्तम, प्रतिभूत, महाभूत, प्रतिच्छन्न और आकाशभूत, इसप्रकार ये सात भेद भूतदेवोंके हैं। उन भूतोंके इन्द्र स्वरूप एवं प्रतिरूप हैं और उन इन्द्रोंके रूपवती, बहुरूपा, सुमुखी तथा सुसीमा नामक देवियाँ हैं ॥४६-४७॥ भूतोंका कथन समाप्त हुआ। पिशाचदेवोंके भेद आदिकुंभंड-जक्ख-रक्खस-संमोहा तारमा अचोक्खक्खा । काल-महकाल-चोक्खा, सतालमा बेह - महदेहा ॥४८।। तुहिन-पवयण-णामा, पिसाच-इंदा म काल-महकाला । कमला - कमलपहुप्पल - सुदसणा ताण देवोनो ॥४६॥ पिसाचा गदा । अर्य-कुष्माण्ड, यक्ष, राक्षस, संमोह, तारक, अशुचि ( नामक }, काल, महाकाल, शुचि, सतालक, देह, महादह, तूष्णीक और प्रवचन, इसप्रकार पिशाचोंके ये चौदह भेद हैं। काल एवं महा - - --.. १. व. क. ज. महा। २. क. ज. द. रयणंदा ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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