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________________ माथा : ३२० ] पंचमो महाहियारो [ २०३ अर्थ-पश्चात प्रदेशोत्तर क्रमसे थाट जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तदनन्तर अवगाहनाके संख्यात-गुणी प्राप्त होने तक चलता रहता है । तब दोइन्द्रिय(८९) निर्वत्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।। तको पदेहत्तर-कमेण सतण्हं मज्झिमोगाहण-वियप्प बच्चदि तदणंतरोगाहणं संखज्ज-गुण पत्तो ति । तादे बाबर वरणफदिकाइय-पत्तेयसरीर-णिन्वत्ति-अपज्जत्तयस्स' उक्कस्सोगाहरणा दोसइ ॥ अर्थ--पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे सात जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तदनन्तर अवगाहनाके संख्यातगुणी प्राप्त होने तक चलता है। तब बादर-वनस्पतिकायिका(९०) प्रत्येकशरीर निवृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवमाहना दिखती है ।। तदो पदेसुत्तर-कमेण छहं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तवणंतरोगाहणं संखेज्ज-गुणं पत्तो ति । तावे पंचेंदिय-णिन्दत्ति-अपज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणं दोसइ ।। अर्थ- पश्चात् प्रदेशोत्तर-अमसे छह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तदनन्तर अवगाहनाके संख्यात-गुणी प्राप्त होने तक चलता है । तब पंचेन्द्रिय(९१) नित्यपर्याप्तकको उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।। श्रीन्द्रिय जीव (गोम्ही) की उत्कृष्ट अवगाहनातदो पदेसुत्तर-कमेण पंचण्हं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चवि तदरणंतरोगाहणं संखेज्ज-गुणं पचो त्ति । [तावे तीइंदिय-णिवत्ति-पज्जचयस्स उक्कस्सोगाहणं दोसइ । ] तं कस्स होदि त्ति भणिये तीई विपस्स-णिव्यचि-पज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणा बट्टमाणस्स सयंपहाचल-परभाग-ट्ठिय-खेत्ते उप्पण्ण-गोहोए उक्कस्सोगाहणं कस्सइ जीवस्त वीसइ । तं केत्तिया इदि उत्ते उस्सेह-जोयणस्स तिण्णि-चउभागो पायामो 'तदट्ट-भागो विक्खंभो विक्खंभद्द-बहलं । एदे तिणि वि परोप्परं गुणिय पमाण-घणंगुले कदे "एक्क-कोडिउरणवीस-लक्ख' तेवाल-सहस्स-णव-सय-छत्तीस रूवेहि गुरिणद • घणंगुला होति । ६ । ११६४३९३६ । अर्थ-पश्चात प्रदेशोत्तर-क्रमसे पाच जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तदनन्तर अवगाहनाके संख्यात-गुणी प्राप्त होने तक चलता रहता है। [ तब तीनइन्द्रिय(९२) निवृत्ति . - -.. १. द. ब. पज्जप्सयस्स । २. द. ब. क. ज. अंतं-उक्कस्स । ३. द. ब. क. ज. तदरभागे। ४. द. न. क. विकलभद्द । ५. द. क. एक्ककादीए, ब, एक्के कोडीए, अ. एक्कोकोही । ६. ए. ब. लक्खा।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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